Holi Bhai Dooj 2024: कब है होली भाई दूज? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

kajal bajaj
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Holi Bhai Dooj 2024: कब है होली भाई दूज? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

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हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक भाई दूज भी माना जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल में दो बार भाई दूज का पर्व मनाया जाता है , जो होली और दीपावली के बाद पड़ता है।

इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधती हैं। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाते हैं। इसे भ्रातृ द्वितीया नाम से भी जानते हैं। जानिए होली भाई दूज की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

  1. भैया दूज कब है?
  2. भाई दूज का तिलक मुहूर्त 2024
  3. भैया दूज पर क्‍या करें
  4. भाई दूज से जुड़ीं कुछ पौराणिक कथाएं

भैया दूज कब है

होली के बाद भाई दूज 27 मार्च 2024 को मनाई जाएगी. ये त्योहार भाई बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है. इसे भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. भाई की सलामती के लिए इस दिन बहने उसे पवित्र टीका कर यम से उसके प्राणों की रक्षा करने की प्रार्थना करती है.

भाई दूज का तिलक मुहूर्त 2023

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 मार्च 2024 को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से आरंभ होगी. इसका समापन 27 मार्च 2024 को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर होगा. इस दिन भाई को टीका करने के लिए दो शुभ मुहूर्त

भाई को तिलक करने का मुहूर्त – सुबह 10.54 – दोपहर 12.27

दोपहर का मुहूर्त –  दोपहर 03.31 – शाम 05.04

भैया दूज पर क्‍या करें

  • भैया दूज के दिन नहा-धोकर स्‍वच्‍छवस्‍त्र धारण करें. इस दिन बहनें नए कपड़े पहनती हैं. 
  • इसके बाद अक्षत (ध्‍यान रहे कि चावल खंड‍ित न हों), कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं. bhai dooj 2024
  • अब भाई की लंबी उम्र और कल्‍याण की कामना के साथ व्रत का संल्‍प लें. 
  • अब विधि-विधान के साथ यम की पूजा करें. 
  • यम की पूजा के बाद यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करें. 
  • अब भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें.  
  • इस मौके पर भाई को यथाशक्ति अपनी बहन को उपहारा या भेंट देनी चाहिए.
  • पूजा होने तक भाई-बहन दोनों को ही व्रत करना होता है. 
  • पूजा संपन्‍न होने के बाद भाई-बहन साथ में मिलकर भोजन करें.

भाई दूज से जुड़ीं कुछ पौराणिक कथाएं

यम और यमि की कथा – यह कथा सूर्यदेव और छाया के पुत्र पुत्री यमराज तथा यमुना से संबंधित है.

यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें.

परंतु यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल देते थे.

यमराज ने सोचा, ”मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता.

बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.’ बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया.

bhai dooj 2024

कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो जाती हैं.

प्रसन्नचित्त होकर भाई का स्वागत सत्कार कर भोजन करवाती हैं.

बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने वर मांगने को कहा,

तब बहन यमुना ने भाई यमराज से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएं तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका कर भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे.

यमराज ‘तथास्तु’ कहकर यमलोक चले गए.

तब से मान्यता है कि जो भाई आज के दिन पूरी श्रद्धा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नहीं रहता है.

भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा (bhai dooj 2024)

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे.

इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था.

सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी.

इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं.

 

 

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