bhai dooj 2023 भाई दूज पर्व और जानिए टीका लगाने का शुभ मुहूर्त

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bhai dooj 2023 भाई दूज पर्व और जानिए टीका लगाने का शुभ मुहूर्त

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महत्वपूर्ण हिन्दु त्यौहारों में से एक त्यौहार भाई दूज है। यह त्यौहार भाई-बहनों के बीच स्नेह बन्धन को सुदृढ़ करता है। हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार, भाई दूज द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है।

भाई दूज को भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दु कैलेण्डर में दो भाई दूज आती हैं। दूसरा पर्व, दीपावली पूजन के दो दिन पश्चात् मनाया जाता है, जो अधिक लोकप्रिय है तथा इसे भी भाई दूज के नाम से जाना जाता है।

हालाँकि, कुछ क्षेत्रों में होली भाई दूज काफी लोकप्रिय है, किन्तु यह त्यौहार अत्यधिक प्रसिद्ध नहीं है। हिन्दु त्यौहारों पर प्रसिद्ध ग्रन्थों जैसे धर्म-सिन्धुनिर्णय-सिन्धु तथा व्रतराज में भी होली भाई दूज का उल्लेख नहीं मिलता है। द्वितीया तिथि पर ही होली भाई दूज मनाया जाना चाहिये। इसलिये होलिका दहन के दिन के आधार पर, यह त्यौहार रँगवाली होली के अगले दिन या दूसरे दिन पर आ सकता है।

  1. भैया दूज कब है?
  2. भाई दूज का तिलक मुहूर्त 2023
  3. भैया दूज पर क्‍या करें
  4. भाई दूज से जुड़ीं कुछ पौराणिक कथाएं

भैया दूज कब है

bhai dooj 2023 इस साल होली भाई दूज का पर्व 9 मार्च को मनाया जा रहा है।

इस साल मार्च में आने वाली यह भाई दूज 8 मार्च 2023 से अगले दिन 9 मार्च 2023 को समाप्त हो रही है।

bhai dooj 2022

भाई दूज का तिलक मुहूर्त 2021

द्वितीया तिथि प्रारंभ- 8 मार्च शाम 07 बजकर 40 मिनट से

द्वितीया तिथि समाप्त- 8 मार्च शाम 08 बजकर 55 मिनट तक

भैया दूज पर क्‍या करें

  • भैया दूज के दिन नहा-धोकर स्‍वच्‍छवस्‍त्र धारण करें. इस दिन बहनें नए कपड़े पहनती हैं. 
  • इसके बाद अक्षत (ध्‍यान रहे कि चावल खंड‍ित न हों), कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं. bhai dooj 2022
  • अब भाई की लंबी उम्र और कल्‍याण की कामना के साथ व्रत का संल्‍प लें. 
  • अब विधि-विधान के साथ यम की पूजा करें. 
  • यम की पूजा के बाद यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करें. 
  • अब भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें.  
  • इस मौके पर भाई को यथाशक्ति अपनी बहन को उपहारा या भेंट देनी चाहिए.
  • पूजा होने तक भाई-बहन दोनों को ही व्रत करना होता है. 
  • पूजा संपन्‍न होने के बाद भाई-बहन साथ में मिलकर भोजन करें.

भाई दूज से जुड़ीं कुछ पौराणिक कथाएं

यम और यमि की कथा – यह कथा सूर्यदेव और छाया के पुत्र पुत्री यमराज तथा यमुना से संबंधित है.

यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें.

परंतु यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल देते थे.

यमराज ने सोचा, ”मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता.

बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.’ बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया.

bhai dooj 2023

कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो जाती हैं.

प्रसन्नचित्त होकर भाई का स्वागत सत्कार कर भोजन करवाती हैं.

बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने वर मांगने को कहा,

तब बहन यमुना ने भाई यमराज से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएं तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका कर भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे.

यमराज ‘तथास्तु’ कहकर यमलोक चले गए.

तब से मान्यता है कि जो भाई आज के दिन पूरी श्रद्धा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नहीं रहता है.

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भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा (bhai dooj 2023)

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे.

इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था.

सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी.

इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं.

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