Navratri 2023 नवरात्रि क्यों मनाते है चलिए जानते हैं

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Navratri 2022

Navratri 2023 नवरात्रि क्यों मनाते है चलिए जानते हैं

नवरात्रि (Navratri 2023)  navratri kyu manate hai शारदीय नवरात्र की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी। आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। नौ दिनों तक शक्तिपीठ कल्याणी देवी, ललिता देवी, अलोपशंकरी देवी और पूजा पंडालों में माता के जयकारे लगेंगे। इस बार देवी का आगमन हाथी पर हो रहा है। नवरात्र में पंचमी तिथि यानी 19 अक्टूबर को मां दुर्गा स्थापित की जाएंगी। शक्ति उपासना का पर्व नवरात्रि क्यों मनाया जाता है और माँ दुर्गा की आराधना क्यों की जाती है; इसको लेकर दो कथाएँ प्रचलित हैं।

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नवरात्रि की प्रथम कथा

एक कथा के अनुसार लंका युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण-वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और विधि के अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल की व्यवस्था भी करा दी। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरत्व प्राप्त करने के लिए चंडी पाठ प्रारंभ कर दिया। यह बात पवन के माध्यम से इन्द्रदेव ने श्रीराम तक पहुँचवा दी।Navratri 2023

इधर रावण ने मायावी तरीक़े से पूजास्थल पर हवन सामग्री में से एक नीलकमल ग़ायब करा दिया जिससे श्रीराम की पूजा बाधित हो जाए। श्रीराम का संकल्प टूटता नज़र आया। सभी में इस बात का भय व्याप्त हो गया कि कहीं माँ दुर्गा कुपित न हो जाएँ। तभी श्रीराम को याद आया कि उन्हें ..कमल-नयन नवकंज लोचन.. भी कहा जाता है तो क्यों न एक नेत्र को वह माँ की पूजा में समर्पित कर दें। श्रीराम ने जैसे ही तूणीर से अपने नेत्र को निकालना चाहा तभी माँ दुर्गा प्रकट हुईं और कहा कि वह पूजा से प्रसन्न हुईं और उन्होंने विजयश्री का आशीर्वाद दिया।

दूसरी तरफ़ रावण की पूजा के समय हनुमान जी ब्राह्मण बालक का रूप धरकर वहाँ पहुँच गए और पूजा कर रहे ब्राह्मणों से एक श्लोक ..जयादेवी..भूर्तिहरिणी.. में हरिणी के स्थान पर करिणी उच्चारित करा दिया। हरिणी का अर्थ होता है भक्त की पीड़ा हरने वाली और करिणी का अर्थ होता है पीड़ा देने वाली। इससे माँ दुर्गा रावण से नाराज़ हो गईं और रावण को श्राप दे दिया। रावण का सर्वनाश हो गया।

नवरात्रि की द्वितीय कथा(Navratri 2023)

एक अन्य कथा के अनुसार महिषासुर को उसकी उपासना से ख़ुश होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वर प्रदान कर दिया था। उस वरदान को पाकर महिषासुर ने उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और नरक को स्वर्ग के द्वार तक विस्तारित कर दिया। महिषासुर ने सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवतओं के भी अधिकार छीन लिए और स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा।

देवताओं को महिषासुर के भय से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था। तब महिषासुर के दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने माँ दुर्गा की रचना की। महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र माँ दुर्गा को समर्पित कर दिए थे जिससे वह बलवान हो गईं। नौ दिनों तक उनका महिषासुर से संग्राम चला था और अन्त में महिषासुर का वध करके माँ दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं।

वर्ष में दो बार नवरात्रि क्यों? Navratri 2023 kyu manate hai

नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाने वाला इकलौता उत्सव है- एक नवरात्रि गर्मी की शुरुआत पर चैत्र में और दूसरा शीत की शुरुआत पर आश्विन माह में। गर्मी और जाड़े के मौसम में सौर-ऊर्जा हमें सबसे अधिक प्रभावित करती है। क्योंकि फसल पकने, वर्षा जल के लिए बादल संघनित होने, ठंड से राहत देने आदि जैसे जीवनोपयोगी कार्य इस दौरान संपन्न होते हैं। इसलिए पवित्र शक्तियों की आराधना करने के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है। प्रकृति में बदलाव के कारण हमारे तन-मन और मस्तिष्क में भी बदलाव आते हैं। इसलिए शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए हम उपवास रखकर शक्ति की पूजा करते हैं। एक बार इसे सत्य और धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी बार इसे भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

माँ दुर्गा के ९ रूप kyu manate hai(Navratri 2023)

देवी माँ या निर्मल चेतना स्वयं को सभी रूपों में प्रत्यक्ष करती है और सभी नाम ग्रहण करती है| हर रूप और हर नाम में एक दैवीय शक्ति को पहचानना ही नवरात्रि मनाना है| असीम आनन्द और हर्षोल्लास के नौ दिनों का उचित समापन बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पर्व दशहरा मनाने के साथ होता है|

1.शैलपुत्री(Navratri 2023)

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शैल का अर्थ है शिखर| दुर्गा को शैल पुत्री क्यों कहा जाता है, यह बहुत दिलचस्प बात है| जब ऊर्जा अपने शिखर पर होती है, केवल तभी आप शुद्ध चेतना या देवी रूप को देख, पहचान और समझ सकते हैं| उससे पहले, आप नहीं समझ सकते, क्योंकि इसकी उत्त्पति शिखर से ही होती है – किसी भी अनुभव के शिखर से| यदि आप 100% क्रोधित हैं, तो आप देखें कि किस प्रकार क्रोध आपके सारे शरीर को जला देता है| किसी भी चीज़ का 100% आपके सम्पूर्ण अस्तित्त्व को घेर लेता है – तब ही वास्तव में दुर्गा की उत्पत्ति होती है|

2.ब्रह्मचारिणी(Navratri 2023)

इस स्पेशल विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न और पाएं मनचाहा वरदान -  maa brahmacharini

ब्रह्मचारिणी का अर्थ है अनंत में व्याप्त, अनंत में गतिमान – असीम| ब्रह्मा असीम है जिसमें सबकुछ समाहित है| आप यह नहीं कह सकते कि, ‘मैं इसे जानता हूँ’, क्योंकि यह असीम है; जिस क्षण ‘आप जान जाते हैं’, यह सीमित बन जाता है और अब आप यह नहीं कह सकते कि, “मैं इसे नहीं जानता”, क्योंकि यह वहां है – तो आप कैसे नहीं जानते? क्या आप कह सकते हैं कि, ”मैं अपने हाथ को नहीं जानता| आपका हाथ तो वहां है न| है न ? इसलिये, आप इसे जानते हैं|

ब्रह्म असीम है, इसलिये आप इसे नहीं जानते – आप इसे जानते हैं और फिर भी आप इसे नहीं जानते| दोनों ! इसीलिये, यदि कोई आपसे पूछता है तो आपको चुप रहना पड़ता है| जो लोग इसे जानते हैं वे बस चुप रहते हैं क्योंकि यदि मैं कहता हूँ कि, “मैं नहीं जानता” , मैं पूर्णत: गलत हूँ और यदि मैं कहता हूँ कि, “मैं जानता हूँ”, तो मैं उस जानने को शब्दों द्वारा, बुद्धि द्वारा सीमित कर रहा हूँ| इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी वो है, जोकि असीम में विद्यमान है, असीम में गतिमान है| गतिहीन नहीं, बल्कि अनंत में गतिमान| ये बहुत ही रोचक है – एक गतिमान होना, दूसरा विद्यमान होना|ब्रह्मचर्य का अर्थ है तुच्छता में न रहना, आंशिकता से नहीं पूर्णता से रहना| इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी चेतना है, जोकि सर्व-व्यापक है|

3.चन्द्रघंटा(Navratri 2023)

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प्राय:, हम अपने मन से ही उलझते रहते हैं – सभी नकारात्मक विचार हमारे मन में आते हैं, ईर्ष्या आती है, घृणा आती है और आप उनसे छुटकारा पाने के लिये और अपने मन को साफ़ करने के लिये संघर्ष करते हैं| मैं कहता हूँ कि ऐसा नहीं होने वाला| आप अपने मन से छुटकारा नहीं पा सकते| आप कहीं भी भाग जायें, चाहे हिमालय पर ही क्यों न भाग जायें, आपका मन आपके साथ ही भागेगा|

यह आपकी छाया के समान है|हाँ, प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया बहुत सहायक हो सकते हैं; पर फिर भी मन सामने आ ही जाता है| मन को घंटे की ध्वनि के समान स्वीकार करें – घंटे की ध्वनि एक होती है, यह कई नहीं हो सकती, यह केवल एक ही ध्वनि उत्पन्न कर सकता है – सभी छायाओं के बीच मन में एक ही ध्वनि ! सारी अस्तव्यस्तता दैवीय शक्ति का उद्भव करती है – वो है चन्द्रघंटा अर्थात् चन्द्र और घंटा|

4.कुष्मांडा (Navratri 2023)

Navratri 4th day Maa Kushmanda aarti vrat katha puja vidhi

‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘इश’ का अर्थ है ऊर्जा और ‘अंडा’ का अर्थ है ब्रह्मांडीय गोला – सृष्टि या ऊर्जा का छोटे से वृहद ब्रह्मांडीय गोला| यह बड़े से छोटा होता है और छोटे से बड़ा ; यह बीज से बढ़ कर फल बनता है और फिर फल से दोबारा बीज हो जाता है| इसी प्रकार, ऊर्जा या चेतना में सूक्ष्म से सूक्ष्मतम होने की और विशाल से विशालतम होने का विशेष गुण है; जिसकी व्याख्या कूष्मांडा करती हैं|

5.स्कंदमाता(Navratri 2023)

Maa Skandmata | Astro Tips

स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति है जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं|

6.कात्यायनी(Navratri 2023)

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कात्यायनी अज्ञात की वो शक्ति हि, जोकि अच्छाई के क्रोध से उत्पन्न होती है| क्रोध अच्छा भी होता है और बुरा भी| अच्छा क्रोध ज्ञान के साथ किया जाता है और बुरा क्रोध भावनाओं और स्वार्थ के साथ किया जाता है| ज्ञानी का क्रोध भी हितकर और उपयोगी होता है; जबकि अज्ञानी का प्रेम भी हानिप्रद हो सकता है| इस प्रकार, कात्यायनी क्रोध का वो रूप है जो सब प्रकार की नकरात्मकता को समाप्त कर सकता है|

7.कालरात्रि(Navratri 2023)

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Navratri 2023 kyu manate hai ? कालरात्रि देवी माँ के सबसे क्रूर,सबसे भयंकर रूप का नाम है| दुर्गा का यह रूप ही प्रकृति के प्रकोप का कारण है| प्रकृति के प्रकोप से कहीं भूकंप, कहीं बाढ़ और कहीं सुनामी आती है; ये सब माँ कालरात्रि की शक्ति से होता है| इसलिये, जब भी लोग ऐसे प्रकोप को देखते हैं, तो वो देवी के सभी नौ रूपों से प्रार्थना करते हैं|

8.महागौरी(Navratri 2023)

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महागौरी, माँ का आठवां रूप, अति सुंदर है, सबसे सुंदर ! सबसे अधिक कोमल, पूर्णत: करुणामयी, सबको आशीर्वाद देती हुईं| यह वो रूप है, जो सब मनोकामनाओं को पूरा करता है|

9.सिद्धिदात्री(Navratri 2023)

Maa Siddhidatri | Astro Tips

नवां रूप, सिद्धिदात्री, सिद्धियाँ या जीवन में सम्पूर्णता प्रदान करने वाला है| सम्पूर्णता का अर्थ है – विचार आने से पूर्व ही काम का हो जाना, यही सम्पूर्णता है|आप कुछ चाहो और वो पहले से ही वहां आ जाये| आपकी कामना उठे, इस से पहले ही सबकुछ आ जाये – यही सिद्धिदात्री है|

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9 देवियों के 9 दिन की पूजा के 9 बीज मंत्र

Navratri 2023 के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा-आराधना का विधान है। नवदुर्गा के इन बीज मंत्रों की प्रतिदिन की देवी के दिनों के अनुसार मंत्र जप करने से मनोरथ सिद्धि होती है। आइए जानें नौ देवियों के दैनिक पूजा के बीज मंत्र

देवी : बीज मंत्र

1. शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:।
2. ब्रह्मचारिणी :  ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
3. चन्द्रघण्टा :  ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
4. कूष्मांडा : ऐं ह्री देव्यै नम:।5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
7. कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।9. सिद्धिदात्री :  ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

चैत्र नवरात्री 2018 : मां दुर्गा की आराधना की पावन आरतियां | NewsTrack  Hindi 1

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नवरात्रि (Navratri 2023) के पहले तीन दिन

नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है। प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है। त्योहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है उसकि पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलु सब बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करने के प्रतिबद्धता के प्रतीक है।

 चौथा से छठे दिन (Navratri 2023)

व्यक्ति जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। प्रयोजन के लिए, व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है। नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी- समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित है।

शायद व्यक्ति बुरी प्रवृत्तियों और धन पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है। ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है। इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रीयो को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता हैं और एक दीया देवी आह्वान और आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है।

नवरात्रि का सातवां और आठवां दिन(Navratri 2023)

सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती, की पूजा की है। प्रार्थनायें, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं। आठवे दिन पर एक ‘यज्ञ’ किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता है।

नवरात्रि का नौवां दिन (Navratri 2023)

नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। ईस दिन पर, कन्या पूजन होता है। उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े पेश किए जाते हैं।

भगवती घोड़े पर आएंगी व हाथी पर जाएंगी

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में भगवती मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर होगा. जबकि गमन हाथी पर होगा. नवरात्र पर्व में भगवती का आगमन व गमन चार सवारियों पर होता है. इसमें हाथी, घोड़ा, पालकी व नाव की सवारी शामिल हैं. पंडितों के अनुसार उदया तिथि के महत्व को देखते हुए नवरात्र का अनुष्ठान मंगलवार को शुरू होगा. लेकिन भगवती का आगमन सोमवार की शाम से ही हो रहा है. जबकि गमन महानवमी को मंगलवार को दिन में है. सोमवार को माता की सवारी घोड़ा है. जबकि मंगलवार को भगवती की सवारी हाथी है.

Navratri 2023 पूजन विधि और घट स्थापना

नवरात्रि के प्रथम दिन स्नान आदि के बाद घर में धरती माता, गुरुदेव व इष्ट देव को नमन करने के बाद गणेश जी का आहवान करना चाहिए. इसके बाद कलश की स्थापना करना चाहिए. इसके बाद कलश में आम के पत्ते व पानी डालें. कलश पर पानी वाले नारियल को लाल वस्त्र या फिर लाल मौली में बांध कर रखें. उसमें एक बादाम, दो सुपारी एक सिक्का जरूर डालें. इसके बाद मां सरस्वती, मां लक्ष्मी व मां दुर्गा का आह्वान करें. जोत व धूप बत्ती जला कर देवी मां के सभी रूपों की पूजा करें. नवरात्रि के खत्म होने पर कलश के जल का घर में छींटा मारें और कन्या पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri 2023)

आश्विन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 15 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में इस शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।  इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त 15 अक्‍टूबर की सुबह 11 बजकर 04 मिनट से सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।

शारदीय नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त   अवधि
नवरात्रि 2023 सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक 56 मिनट

कलश स्थापना पूजा विधि

नवरात्रि पर सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। मां दुर्गा इस दिन भक्तों के घर आती हैं ऐसे में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम और अशोक के पत्ते का तोरण लगाएं। 

नवरात्रि में माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए। जहां मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। उसके बाद रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की मूर्ति को स्थापित करें। उसके बाद विधिविधान से माता की पूजा करें।

उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण को पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है। आप भी अगर हर साल कलश स्थापना करते हैं तो आपकी इसी दिशा में कलश रखना चाहिए और माता की चौकी सजानी चाहिए।

नवरात्रि पूजा सामग्री

  • मां दुर्गा जी की पूजा में दूर्वा, तुलसी,आंवला, आक और मदार के फूल अर्पित नहीं करें। लाल रंग के फूलों व रंग का अत्यधिक प्रयोग करें।
  • शारदीय नवरात्रि 2023, घटस्थापना के लिए पूजा सामग्री

शारदीय नवरात्रि 2023 घटस्थापना के लिए पूजा सामग्री घटस्थापना के लिए पूजा सामग्री
नवरात्रि कलश
माता की फोटो
7 तरह के अनाज
मिट्टी का बर्तन 
पवित्र मिट्टी
गंगाजल 
आम या अशोक के पत्ते 
सुपारी
जटा वाला नारियल
अक्षत 
लाल वस्त्र
पुष्प

नवग्रहों की पूजा

नवरात्रि में नवदुर्गा के पूजन के माध्यम से नवग्रह शांति भी हो जाती है. देवी के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा के माध्यम से क्रमश: नौ ग्रहों सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की शांति होती है.Maa mahagauri, navratri, navratri 2023, navratri subh muhurat, navratri colors 2023, durga puja, navratri puja, navratri muhurat, sharad navratri 2023, नवरात्रि 2023, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, Religion Photos, Latest Religion Photographs, Religion Images, Latest Religion photos

आइए, नवरात्र के अवसर पर हम जगत माता देवी दुर्गा से यह प्रार्थना करें :

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सर्वे भवन्तु सुखिन:,सर्वे सन्तु निरामया:.

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,मा कश्चिद् दु:ख भाग्यवेत्.

दुर्गा जी की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी ॥

देवी वन्दना

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||

वर्ष में चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन के होते हैं। इनमें चैत्र और आश्विन नवरा‍त्रि ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवी भक्त आश्विन नवरा‍त्रि का बहुत महत्व है। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय नवरात्र कहते हैं। चैत्र नवरात्र को वासन्ती नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से होता है। चैत्र में आने वाले नवरात्र में अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा का विशेष प्रावधान माना गया है। चैत्र नवरात्रि प्रभु राम के जन्मोत्सव से जुड़ी है। चैत्र नवरात्र मां की शक्तियों को जगाने का आह्वान है ताकि हम संकटों, रोगों, दुश्मनों, आपदाओं का सामना कर सकें और उनसे हमारा बचाव हो सके।

 

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