dhanteras kab hai, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

admin
8 Min Read
dhanteras 2022
Advertisement
Advertisement

 

Dhanteras 2023 , जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

धनतेरस का त्यौहार कार्तिक महीना के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इसे छोटी दीपावली के नाम से भी जानते हैं. धनतेरस के दिन से ही दीपावली की शुरुआत होती है. इस साल धनतेरस 10 नवंबर 2023 शुक्रवार को मनाया जाएगा.

dhanteras kab hai 2023

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. इस दिन धनतेरस का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी कुबेर और गणेश जी की पूजा आराधना का विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं. घर में धन-वैभव और सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. आज हम आपको बताएंगे कि क्यों मनाया जाता है धनतेरस? इस दिन किस प्रकार के बर्तन को खरीदना बेहद शुभ होता है तो चलिए जानते हैं.

dhanteras 2022

धनतेरस 2023 शुभ मुहूर्त (dhanteras 2023)

त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर 2023 को शाम 6.02 बजे और 23 अक्टूबर 2023 को शाम 6.02 बजे के बीच है। धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 7.29 बजे से 8.39 बजे के बीच है। आप इस दौरान मुख्य आरती कर सकती हैं।

धनतेरस की पूजा विधि (dhanteras 2023)

1. धनतेरस के दिन भगवान गणेश,माता लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी और कुबेर जी की पूजा की जाती है.

2. इस दिन शाम के समय प्रदोष काल में पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है.

3. आपको पूजा से पूर्व स्नान अवश्य करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.

4. इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़क कर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं और अन्न की ढेरी लगाएं.

5. कपड़ा बिछाने के बाद भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, मिट्टी का हाथी भगवान धनवंतरी और भगवान कुबेर जी की प्रतिमा स्थापित करें.

6. सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें उन्हें सबसे पहले पुष्प और दूर्वा अर्पित करें और उनका विधिवत पूजन करें. इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर भगवान धनवंतरी का ध्यान करें.

dhanteras 2023

7. इसके बाद भगवान धनवंतरी को पंचामृत से स्नान कराकर उनका रोली व चंदन से तिलक करें और उन्हें पीले रंग के पुष्प अर्पित करें.

8. पुष्प अर्पित करने के बाद उन्हें फल और नैवेद्य आदि अर्पित करें और उन पर इत्र छिड़कें.

9. इसके बाद भगवान धनवंतरी के मंत्रों का जाप करें और उनके आगे तेल का दीपक जलाएं.

10. तेल का दीपक जलाने धनतेरस की कथा पढ़ें और उनकी धूप व दीप से आरती उतारें.

11. इसके बाद भगवान धनवंतरी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और अंत में माता लक्ष्मी और कुबेर जी का भी पूजन करें.

12. जब आप अपनी पूजा समाप्त कर लें तो अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों और तेल के दीपक अवश्य जलाएं.

dhanteras 2022

धनतेरस का महत्व (dhanteras 2023)

धनतेरस (dhanteras 2023) के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ- साथ भगवान धनवंतरी की भी पूजा की जाती है. भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के समय 14वें रत्न के रूप में पीतल का अमृत कलश लिए हुए समुद्र मंथन के द्वारा प्रकट हुए थे. जिस दिन भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे वह दिन त्रयोदशी का था। इसी कारण से धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है.

इसी कारण से धनतेरस के दिन पीतल खरीदना काफी शुभ माना जाता है. वहीं मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर में नई वस्तुएं लाने से घर में धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कहे जाने वाले भगवान कुबेर का वास होता है. इस दिन सोना, चांदी और पीतल की वस्तुओं को खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है.

धनतेरस के दिन ही राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस भी मनाया जाता है. वहीं इस दिन नई झाडू खरीदने का भी विधान है. इसके पीछे मान्यता है कि झाडू में माता लक्ष्मी का वास होता है. जिसे घर में लाने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है.

धनतेरस पर क्यों खरीदे जाते हैं बर्तन

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुंद्र मंथन से धन्वन्तरि प्रकट हुए. धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था. भगवान धन्वन्तरी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है. विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदना चाहिए,  क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का धातु है. इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ होता है.

धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दीप जलाने का महत्त्व

dhanteras 2023 धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दिया जलाया जाता है. इसके पिछे की कहानी कुछ यूं है. एक दिन दूत ने बातों ही बातों में यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है. इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमदेव ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती.

dhanteras 2022

धनतेरस की कथा

धनतेरस की कथा एक समय की बात है भगवान नायारण ने मृत्युलोक जाने का सोचा तो माता लक्ष्मी जी ने भी भगवान विष्णु के साथ चलने को कहा तो श्री हरि नारायण ने एक शर्त रखी कि जो मैं कहूँगा अगर आप वैसा ही करेंगी तो आप मेरे साथ चल सकती हैं. विष्णु जी की बात को लक्ष्मी जी ने स्वीकारा और दोनों पृथ्वी पर आ गए. विष्णु जी ने माँ लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं ना आऊं आप यहां बैठो और मैं जिस भी दिशा में जा रहा हूँ आप उस दिशा में मत देखना.

माता लक्ष्मी जी ने हाँ तो कर दिया लेकिन मन में सवाल उठा कि आखिर दक्षिण दिशा में क्या है जो मुझे मना कर दिया , लक्ष्मी जी को ये बात पसंद नहीं आई और थोड़ी देर में विष्णु जी के पीछे-पीछे चल दी तो कुछ दूर जाकर देखा तो खेत में सरसों उग रही थी माता ने सरसों का फूल तोड़ अपना श्रृंगार करने लगी और फिर गन्ने का खेत आया तो गन्ना खानें लगीं.

dhanteras 2023

तभी विष्णु जी की नजर पड़ी तो उन्होंने माता लक्ष्मी जी को शाप दिया कि तुमनें किसान की चोरी की है तुम्हें सजा के रूप में 12 वर्ष तक किसान की सेवा करनी होगी.

माता लक्ष्मी किसान के घर चली गई और भगवान विष्णु क्षीरसागर. किसान बहुत गरीब था तो माता लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से उनके स्वरुप लक्ष्मी जी की पूजा करने को कहा. किसान का घर धन अन्न से भर गया.12 वर्ष बाद जब विष्णु जी लक्ष्मी जी को लेने आये तो किसान से मना कर दिया, तब श्री हरि ने एक युति सोची और वारुणी पर्व पर लक्ष्मी जी को फिर लेने आये और कौड़ियाँ देते हुए कहा कि मैं तब तक यहां रहूँगा जब तक तुम गंगा स्नान करके नहीं आते.

 

Share This Article
Leave a comment