Ganesh Chaturthi 2023 – इस बार गणेश स्थापना कब करें आइये जाने, पूजन विधि, मुहूर्त, मंत्र और आरती

admin
14 Min Read
Advertisement

Ganesh Chaturthi 2023 – इस बार गणेश स्थापना कब करें आइये जाने श्री गणेश जी की पूजन विधि, मुहूर्त, मंत्र और आरती
Advertisement

भाद्रपद (भादो) माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2023) मनाते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को गणेश जन्मोत्सव के रूप में जाना जाता है.

इस साल गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023, शुक्रवार को मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है.  इस बार कोरोना काल के कारण सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे.

लम्बी सूंड, बड़ी आँखें, बड़े कान, सुनहरा सिन्दूरी वर्ण यह ध्यान करते ही प्रथम पूज्य श्री गणेश जी (Ganesh Chaturthi 2023) का पवित्र स्वरुप हमारे सामने आ जाता है. सुखी व सफल जीवन के इरादों से आगे बढऩे के लिए बुद्धिदाता भगवान श्री गणेश के नाम स्मरण से ही शुरुआत शुभ मानी जाती है. 

जीवन में प्रसन्नता और हर छेत्र में सफलता प्राप्त करने हतु श्री गजानन महाराज के पूजन की सरलतम विधि विद्वान पंडित जी द्वारा बताई गयी है, जो की आपके लिए प्रस्तुत है – प्रातः काल शुद्ध होकर गणेश जी के सम्मुख बैठ कर ध्यान करें और पुष्प, रोली, अछत आदि चीजों से पूजन करें और विशेष रूप से सिन्दूर चढ़ाएं तथा दूर्बा दल (११ या २१ दूब का अंकुर) समर्पित करें. यदि संभव हो तो फल और मीठा चढ़ाएं (मीठे में गणेश जी को मूंग के लड्डू प्रिय हैं ).

This image has an empty alt attribute; its file name is ganesh_599e73b1d0b68-1.jpg

किस मुहूर्त में गणेशजी की स्थापना करें –

19 सितंबर सुबह 11 बजकर 01 मिनट से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट के बीच भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त है। इस अवधि में शुभ कार्यों को करना अति उत्तम माना जाता है।
 

अगरबत्ती और दीप जलाएं और नीचे लिखे सरल मंत्रों का मन ही मन 11, 21 या अधिक बार जप करें :-

  ॐ चतुराय नम: | ॐ गजाननाय नम: | ॐ विघ्रराजाय नम: |ॐ प्रसन्नात्मने नम: |

पूजा और मंत्र जप के बाद श्री गणेश आरती कर सफलता व समृद्धि की कामना करें।

सामान्य पूजन (Ganesh Chaturthi 2023)

पूजन सामग्री (सामान्य पूजन के लिए)

शुद्ध जल, गंगाजल, सिन्दूर, रोली, रक्षा, कपूर, घी, दही, दूब, चीनी, पुष्प, पान, सुपारी, रूई, प्रसाद (लड्डू गणेश जी को बहुत प्रिय है).
 

विधि

गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहन मंत्र पढकर अक्षत डालें.
                                                          

ध्यान श्लोक   

शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् . प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये ..
 
षोडशोपचार पूजन –  ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ध्यायामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आवाहयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आचमनीयं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . उप हारं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . वस्त्र युग्मं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . यज्ञोपवीतं धारयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आभरणानि समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . गंधं धारयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अक्षतान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पैः पूजयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . प्रतिष्ठापयामि .
 

और गणेश जी के इन नामों का जप करें – Ganesh Chaturthi 2023

ॐगणपतयेनमः॥ ॐगणेश्वरायनमः॥ ॐगणक्रीडायनमः॥

ॐगणनाथायनमः॥ ॐगणाधिपायनमः॥ ॐएकदंष्ट्रायनमः॥

ॐवक्रतुण्डायनमः॥ ॐगजवक्त्रायनमः॥ ॐमदोदरायनमः॥

ॐलम्बोदरायनमः॥ ॐधूम्रवर्णायनमः॥ ॐविकटायनमः॥

ॐविघ्ननायकायनमः॥ ॐसुमुखायनमः॥ ॐदुर्मुखायनमः॥

ॐबुद्धायनमः॥ ॐविघ्नराजायनमः॥ ॐगजाननायनमः॥

ॐभीमायनमः॥ ॐप्रमोदायनमः॥ ॐआनन्दायनमः॥

ॐसुरानन्दायनमः॥ ॐमदोत्कटायनमः॥ ॐहेरम्बायनमः॥

ॐशम्बरायनमः॥ ॐशम्भवेनमः॥ ॐलम्बकर्णायनमः॥ ॐमहाबलायनमः॥ ॐनन्दनायनमः॥ॐ

अलम्पटायनमः॥ ॐभीमायनमः॥ ॐमेघनादायनमः॥ ॐगणञ्जयायनमः॥ ॐविनायकायनमः

॥ॐविरूपाक्षायनमः॥ ॐधीरायनमः॥ ॐशूरायनमः॥ ॐवरप्रदायनमः॥ ॐमहागणपतयेनमः॥ॐ

बुद्धिप्रियायनमः॥ ॐक्षिप्रप्रसादनायनमः॥ ॐरुद्रप्रियायनमः॥ ॐगणाध्यक्षायनमः॥ॐउमापुत्रायनमः॥

ॐअघनाशनायनमः॥ ॐकुमारगुरवेनमः॥ ॐईशानपुत्रायनमः॥ ॐमूषकवाहनायनः॥

ॐसिद्धिप्रदायनमः॥ ॐसिद्धिपतयेनमः॥ ॐसिद्ध्यैनमः॥ ॐसिद्धिविनायकायनमः॥

ॐविघ्नायनमः॥ ॐतुङ्गभुजायनमः॥ ॐसिंहवाहनायनमः॥ ॐमोहिनीप्रियायनमः॥

ॐकटिंकटायनमः॥ ॐराजपुत्रायनमः॥ ॐशकलायनमः॥ ॐसम्मितायनमः॥

ॐअमितायनमः॥ ॐकूश्माण्डगणसम्भूतायनमः॥ ॐदुर्जयायनमः॥ ॐधूर्जयायनमः॥

ॐअजयायनमः॥ ॐभूपतयेनमः॥ ॐभुवनेशायनमः॥ ॐभूतानांपतयेनमः॥

ॐअव्ययायनमः॥ ॐविश्वकर्त्रेनमः॥ ॐविश्वमुखायनमः॥ ॐविश्वरूपायनमः॥

ॐनिधयेनमः॥ ॐघृणयेनमः॥ ॐकवयेनमः॥ ॐकवीनामृषभायनमः॥

ॐब्रह्मण्यायनमः॥ ॐब्रह्मणस्पतयेनमः॥ ॐज्येष्ठराजायनमः॥ ॐनिधिपतयेनमः॥

ॐनिधिप्रियपतिप्रियायनमः॥ ॐहिरण्मयपुरान्तस्थायनमः॥ ॐसूर्यमण्डलमध्यगायनमः॥

ॐकराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलायनमः॥ ॐपूषदन्तभृतेनमः॥ ॐउमाङ्गकेळिकुतुकिनेनमः॥

ॐमुक्तिदायनमः॥ ॐकुलपालकायनमः॥ ॐकिरीटिनेनमः॥ ॐकुण्डलिनेनमः॥

ॐहारिणेनमः॥ ॐवनमालिनेनमः॥ ॐमनोमयायनमः॥ ॐवैमुख्यहतदृश्यश्रियैनमः॥

ॐपादाहत्याजितक्षितयेनमः॥ ॐसद्योजातायनमः॥ ॐस्वर्णभुजायनमः॥

ॐमेखलिननमः॥ ॐदुर्निमित्तहृतेनमः॥ ॐदुस्स्वप्नहृतेनमः॥ ॐप्रहसनायनमः॥

ॐगुणिनेनमः॥ ॐनादप्रतिष्ठितायनमः॥ ॐसुरूपायनमः॥ ॐसर्वनेत्राधिवासायनमः॥

ॐवीरासनाश्रयायनमः॥ ॐपीताम्बरायनमः॥ ॐखड्गधरायनमः॥

ॐखण्डेन्दुकृतशेखरायनमः॥ ॐचित्राङ्कश्यामदशनायनमः॥ ॐफालचन्द्रायनमः॥

ॐचतुर्भुजायनमः॥ ॐयोगाधिपायनमः॥ ॐतारकस्थायनमः॥ ॐपुरुषायनमः॥

ॐगजकर्णकायनमः॥ ॐगणाधिराजायनमः॥ ॐविजयस्थिरायनमः॥

ॐगणपतयेनमः॥ ॐध्वजिनेनमः॥ ॐदेवदेवायनमः॥ ॐस्मरप्राणदीपकायनमः॥

ॐवायुकीलकायनमः॥ ॐविपश्चिद्वरदायनमः॥ ॐनादायनमः॥

ॐनादभिन्नवलाहकायनमः॥ ॐवराहवदनायनमः॥ ॐमृत्युञ्जयायनमः॥

ॐव्याघ्राजिनाम्बरायनमः॥ ॐइच्छाशक्तिधरायनमः॥ ॐदेवत्रात्रेनमः॥

ॐदैत्यविमर्दनायनमः॥ ॐशम्भुवक्त्रोद्भवायनमः

॥ॐशम्भुकोपघ्नेनमः॥ ॐशम्भुहास्यभुवेनमः॥ ॐशम्भुतेजसेनमः॥ ॐशिवाशोकहारिणेनमः॥

ॐगौरीसुखावहायनमः॥ ॐउमाङ्गमलजायनमः॥ ॐगौरीतेजोभुवेनमः॥

ॐस्वर्धुनीभवायनमः॥ ॐयज्ञकायायनमः॥ ॐमहानादायनमः॥ ॐगिरिवर्ष्मणेनमः॥

ॐशुभाननायनमः॥ ॐसर्वात्मनेनमः॥ ॐसर्वदेवात्मनेनमः॥ ॐब्रह्ममूर्ध्नेनमः॥

ॐककुप्छ्रुतयेनमः॥ ॐब्रह्माण्डकुम्भायनमः॥ॐ

चिद्व्योमफालायनमः॥ ॐसत्यशिरोरुहायनमः॥ ॐजगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषायनमः॥

ॐअग्न्यर्कसोमदृशेनमः॥ ॐगिरीन्द्रैकरदायनमः॥ ॐधर्मायनमः॥ ॐधर्मिष्ठायनमः॥

ॐसामबृंहितायनमः॥ ॐग्रहर्क्षदशनायनमः॥ ॐवाणीजिह्वायनमः॥ ॐवासवनासिकायनमः॥

ॐकुलाचलांसायनमः॥ ॐसोमार्कघण्टायनमः॥ ॐरुद्रशिरोधरायनमः॥

ॐनदीनदभुजायनमः॥ ॐसर्पाङ्गुळिकायनमः॥ ॐतारकानखायनमः॥

ॐभ्रूमध्यसंस्थतकरायनमः॥ ॐब्रह्मविद्यामदोत्कटायनमः॥ ॐव्योमनाभायनमः॥

ॐश्रीहृदयायनमः॥ ॐमेरुपृष्ठायनमः॥ ॐअर्णवोदरायनमः॥

ॐकुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षःकिन्नरमानुषायनमः||

वृहद पूजन विधि – Ganesh Chaturthi 2023

 
This image has an empty alt attribute; its file name is ganesha_ji_1718804_835x547-m.jpg
 

पूजन सामग्री (वृहद् पूजन के लिए)

शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, पंचामृत, वस्त्र, जनेऊ, मधुपर्क, सुगंध, लाल चन्दन, रोली, सिन्दूर, अक्षत(चावल), फूल, माला, बेलपत्र, दूब, शमीपत्र, गुलाल, आभूषण, सुगन्धित तेल, धूपबत्ती, दीपक, प्रसाद, फल, गंगाजल, पान, सुपारी, रूई, कपूर.
 

विधि

गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहन करें:
 
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं |

उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ||

आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव |

यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव ||

 

और अब प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें 

अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च |

अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन ||

 

आसन-

रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम |

आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||

 

पाद्य (पैर धुलना)-

उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम |

पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम ||
 

आर्घ्य(हाथ धुलना)-

अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै 😐

करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते ||

 

आचमन –

सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं |

आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः ||

 

स्नान –

गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:|

स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे ||

 

दूध से स्नान –

कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम |

पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं ||

 

दही से स्नान-

पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं |

दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां ||

 

घी से स्नान –

नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं |

घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

 

शहद से स्नान-

तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः |

तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

 

शर्करा (चीनी) से स्नान

इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम |

मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

 

पंचामृत से स्नान-

पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं |

पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शुध्दोदक (शुद्ध जल) से स्नान-

मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम |

तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

 

वस्त्र-

सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे |

मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां ||

 

उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा)-

सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव : |

वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||

 

यज्ञोपवीत-

नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |

उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||

 

मधुपर्क-

कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः |

मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां ||

 

गन्ध-

श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम |

विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां ||

 

रक्त (लाल )चन्दन-

रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम |

मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम ||

 

रोली-

कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम |

कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्: ||

 

सिन्दूर-

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ||

शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां ||

 

अक्षत-

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः |

माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः ||

 

पुष्प-

पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै: |

पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां ||

 

पुष्प माला-

माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो |

मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर: ||

 

बेल का पत्र-

त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै :शुभै : |

तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर : ||

 

दूर्वा-

त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि |

सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव ||

 

दूर्वाकर-

दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम |

आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:||

 

शमीपत्र-

शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका |

धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी ||

 

अबीर गुलाल-

अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च |

अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे ||

 

आभूषण-

अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान |

गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर: ||

 

सुगंध तेल-

चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि: |

वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां ||

 

धूप-

वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम : |

आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां ||

 

दीप-

आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया |

दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम ||

 

नैवेद्य-

शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम |

उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां ||

 

मध्येपानीय-

अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या |

त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि ||

 

ऋतुफल-

नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम |

कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यतां ||

 

आचमन-

गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन |

आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम ||

 

अखंड ऋतुफल-

इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव |

तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि ||

 

ताम्बूल पूंगीफलं-

पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम |

एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां ||

दक्षिणा (दान)-

हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो: |

अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे ||

 

आरती-

चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च |

त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम ||

 

पुष्पांजलि-

नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च |

पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर: ||

 

प्रार्थना-

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:

भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात ||

अनया पूजया गणपति: प्रीयतां न मम ||

श्री गणेश जी की आरती – Ganesh Chaturthi 2023

जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा |

माता जाकी पारवती,पिता महादेवा ||

एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी |

मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी || जय ……………………………………………

अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया |

बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया || जय ……………………………………………

हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा |

लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा || जय …………………………………………….

दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी |

कामना को पूरा करो जग बलिहारी || जय ……………………………………………

 

FAQ

2023 में गणेश चतुर्थी कब है?

2023 में गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी.

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी गणेश भगवान के जन्म को समर्पित करने के लिए मनाई जाती है, जो हिन्दू धर्म के दिव्य दिव्य भगवान हैं, ज्ञान, समृद्धि और भलाइयों के देवता हैं. यह उनका आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने जीवन से बाधाओं को हटाने का समय होता है.

गणेश चतुर्थी कितने दिन तक चलती है?

गणेश चतुर्थी सामान्यत: 10 दिन तक मनाई जाती है, जिसमें पहले और आखिरी दिन, “गणेश चतुर्थी” और “अनंत चतुर्दशी”, को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है.

गणेश चतुर्थी के दौरान कुछ पारंपरिक व्यंजन कौन-कौन से बनाए जाते हैं?

गणेश चतुर्थी के दौरान कुछ पॉपुलर व्यंजनों में मोदक (एक मिठा दम्रिक), पुरण पोली, नारियल के लड्डू, और विभिन्न स्नैक्स जैसे चकली और करंजी शामिल हैं.

गणेश चतुर्थी के दौरान क्या-क्या प्रार्थनाएं या मंत्र होते हैं?

हां, भगवान गणेश के लिए कई प्रार्थनाएं और मंत्र होते हैं, जैसे “गणेश चालीसा” और “ॐ गं गणपतये नमः.” भक्त अक्षरशः भगवान गणेश की पूजा के समय इन प्रार्थनाओं को पढ़ते हैं. आप इन प्रार्थनाओं को यहाँ पड़ सकते है.  

गणेश विसर्जन का क्या महत्व है?

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा श्री गणेश को लगातार 10 दिन तक सुनाई थी जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरश: लिखा था. 10 दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोली तो पाया कि 10 दिन की अथक मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है. तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था. इसलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है.

गणेश विसर्जन की पूरी कथा यहाँ पड़े

Share This Article
Leave a comment