Rakshabandhan 2025 : वो धागा जो सिर्फ कलाई नहीं, रिश्ते भी बाँधता है

mohit sharma
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Rakshabandhan 2025 : वो धागा जो सिर्फ कलाई नहीं, रिश्ते भी बाँधता है

rakshabandhan 2025 : मुझे आज भी वो बचपन का दृश्य याद है—जब माँ सुबह-सुबह हमें उठाकर कहती थीं, “जल्दी उठो, आज राखी है!” पूरे घर में हलचल होती थी, मिठाइयों की खुशबू, नए कपड़े, और दीदी की पूजा की थाली। भाई-बहन का ये त्योहार बचपन से ही मेरे दिल के बहुत करीब रहा है।

rakshabandhan 2025 आ रहा है, और इस बार भी वही मिठास, वही अपनापन, और वही भावनाएँ दिल में ताज़ा हो रही हैं। भले ही वक्त के साथ बहुत कुछ बदल गया हो, लेकिन रक्षाबंधन की अहमियत आज भी वैसी ही है।

रक्षाबंधन केवल धागों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्यार, विश्वास और रिश्तों की गरिमा बनाने वाला पर्व है.

रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक होता है.

यह त्योहार पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है. बहन अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बाँधती और उसकी लंबी उमर की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन की उम्र भर रक्षा करने का वचन देते है.

इस पर्व के पीछे देवराज इंद्र और इंद्रणी की कथा और देवी लक्ष्मी एवं असुर राजा बलि की कथा काफी प्रचलित है. इन्हीं कथाओं में रक्षा बंधन को भाई-बहनों का त्योहार मानाए जाने का रहस्य भी छुपा है.

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है

  • रक्षाबंधन हर वर्ष अगस्त महीने में मनाया जाता है जिसमें बहन पूरे दिन भूखे रहकर अपने भाई के लिए व्रत रखती है और उससे अपने रक्षा करने का वचन लेती है.
  • रक्षाबंधन दिन बहन सुबह उठ कर स्नान करके नए वस्त्र धारण करती हैं.
  • फिर अपने भाई के लिए ख़रीदी गयी राखी खोल कर एक पूजा की थाली में रखती हैं इस थाली में इसके अलावा रोली, अक्षत, तिलक, कर्पूर, मिठाई आदि थाली भी रख कर खूब प्यार से राखी की थाली को सजाती हैं.
  • इसके बाद अपने भाई को राखी बांध कर उसे हर मुसीबत से सुरक्षित रहने की प्रार्थना करती हैं, फिर अपने भाई को मिठाई खिलाकर बहन अपना व्रत पूरा करती है.
  • राखी केवल एक धागा नहीं बल्कि एक बहन के विश्वास का प्रतीक हैं रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को पूरी जिंदगी रक्षा करने का वचन देता है और अपने बहन के लिए अपना प्यार दिखाने के लिए अपनी बहन को उपहार देता है.

भाई-बहन का रिश्ता – थोड़ा तकरार, बहुत सारा प्यार

रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, एक एहसास है। यह उन अनकहे जज़्बातों का दिन है, जो हम रोज़ नहीं कह पाते।

कभी सोचा है? वो बहन जो दिनभर लड़ती है, वही रक्षाबंधन पर सबसे पहले भाई को मिठाई खिलाती है।

और वो भाई, जो अक्सर मोबाइल में बिज़ी रहता है, राखी पर बहन के लिए तोहफा छुपाकर लाता है — और जब बहन देखती है, तो आँखों में वो खुशी, वो चमक… बस वही है रक्षाबंधन का असली जादू।

rakshabandhan 2025: का शुभ मुहूर्त

rakshabandhan 2025 में इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2025 (मंगलवार) को मनाया जाएगा।

rakshabandhan 2025 👉 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: सुबह 10:45 बजे से शाम 07:05 बजे तक।


इस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं और लंबी उम्र की कामना कर सकती हैं।

rakshabandhan 2025 आज का रक्षाबंधन – थोड़ा मॉडर्न, पर दिल वही

रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, एक एहसास है। यह उन अनकहे जज़्बातों का दिन है, जो हम रोज़ नहीं कह पाते।

कभी सोचा है? वो बहन जो दिनभर लड़ती है, वही रक्षाबंधन पर सबसे पहले भाई को मिठाई खिलाती है।

और वो भाई, जो अक्सर मोबाइल में बिज़ी रहता है, राखी पर बहन के लिए तोहफा छुपाकर लाता है — और जब बहन देखती है, तो आँखों में वो खुशी, वो चमक… बस वही है रक्षाबंधन का असली जादू।

रक्षाबंधन क्या है

रक्षा बंधन का पर्व दो शब्दों के मिलने से बना हुआ है, “रक्षा” और “बंधन“. संस्कृत भाषा के अनुसार, इस पर्व का मतलब होता है की “एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करता हो”.

यहाँ पर “रक्षा” का मतलब रक्षा प्रदान करना होता है उधर “बंधन” का मतलब होता है एक गांठ, एक डोर जो की रक्षा प्रदान करे.

ये दोनों ही शब्द मिलकर एक भाई-बहन का प्रतिक होते हैं. यहाँ ये प्रतिक केवल खून के रिश्ते को ही नहीं समझाता बल्कि ये एक पवित्र रिश्ते को जताता है.

यह त्यौहार खुशी प्रदान करने वाला होता है वहीँ ये भाइयों को ये याद दिलाता है की उन्हें अपने बहनों की हमेशा रक्षा करनी है.

“हालांकि यह प्रचलित है, लेकिन अधिकांश को यह बात शायद पता ना हो कि भाई को रक्षासूत्र बांधने से पहले बहनें तुलसी और नीम के वृक्ष को राखी बांधती हैं. ऐसा करके दरअसल, बहनें संपूर्ण प्रकृति की रक्षा का वचन लेती हैं.

राखी वास्तव में हर उस शख्स को बांधी जा सकती है, जो आपकी रक्षा का वादा करता है. चाहे वह पिता हो या भाई. दोस्त हो या ऑफिस में काम करने वाला कोई सहयोगी”.

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

इसके लिए बहुत सी कहानियाँ प्रचलित है.सबसे प्रचलित मान्यता है कि की राखी का त्योहार देवी देवताओं के समय से ही मनाया जा रहा है.

माना जाता है की जब देवों और दानवों के बीच युद्ध हुआ और युद्ध में जब देवता हारने लगे, तब तभी देवतागण भगवान इंद्र के पास गये और उनसे अपने प्राणो की रक्षा करने की प्रार्थना करने लगे.

देवताओं को भयभीत देखकर इंद्राणी ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बांध दिया.  इससे देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की. 

rakshabandhan 2025

rakshabandhan 2025 राखी की कहानियाँ – जब धागा बना रक्षा कवच

भारत की पौराणिक कथाओं में भी रक्षाबंधन का ज़िक्र मिलता है। कुछ किस्से तो दिल छू लेते हैं।

🪔 कृष्ण और द्रौपदी

जब कृष्ण की उंगली कट गई थी, द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। उस पल से कृष्ण ने वचन लिया कि वह हर परिस्थिति में द्रौपदी की रक्षा करेंगे। और उन्होंने निभाया भी।

🪔 राजा बलि और लक्ष्मी

भगवान विष्णु ने जब राजा बलि से वचन निभाने के लिए बैकुंठ छोड़ा, तो माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर भाई बनाया और विष्णु को वापस मांगा। इस कहानी से ये साफ़ होता है कि राखी केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं।

rakshabandhan 2025रक्षा बंधन का महत्व – केवल धागा नहीं, विश्वास है

रक्षाबंधन 2025 हमें याद दिलाता है कि रिश्ते खून से नहीं, भावनाओं से बनते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के बीच उस भरोसे को मजबूत करता है, जो शब्दों से नहीं, सिर्फ एक राखी से जुड़ता है।

कभी-कभी, यही एक दिन किसी दूर हो चुके रिश्ते को फिर से पास ले आता है।

राखी की कहानी इन्द्रदेव जी से संबंधित

  • इन्द्रदेव जी महाराज जो कि हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले भगवान है एक बार क्या हुआ कि किसी वजह से उनका विवाद एक राक्षस से हुआ.
  • राजा बलि नामक असुर राजा ने इन्द्रदेव को युद्ध में पराजय कर दिया था जिसकी वजह से इन्द्र्देव को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा.
  • उस समय इन्द्रदेव की पत्नी सची ने त्रिदेवों में विष्णु जी के पास जाकर अपना दुख बताया.
  • भगवान विष्णु जी ने सचि की बातों को सुन कर उसको एक सूट का धागा दिया उस धागे एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. इस वलय को भगवान विष्णु जी ने पवित्र और शक्ति शाली वलय कहा.
  • सचि ने इस वलय को इन्द्र्देव के हाथ में बांध दिया और उनकी रक्षा की कामना की फिर क्या था भगवान की शक्ति के कारण राजा बलि और इन्द्रदेव में फिर से युद्ध हुआ और इन्द्रदेव की जीत हुई.
  • इन्द्रदेव जी ने अपना अमरावती पर अधिकार कर लिया और इस घटना के बाद से पवित्र धागे का त्यौहार शुरू हो गया.

rakshabandhan 2025– इस बार कुछ खास कीजिए

इस बार क्यों न सिर्फ उपहारों तक सीमित न रहें?
🔸 बहन को एक ख़त लिखिए – उसके बचपन की शरारतों की याद दिलाकर।
🔸 भाई को एक कविता भेजिए – जो आपने उसके लिए लिखी हो।
🔸 कोई पुरानी तस्वीर फिर से रीक्रिएट कीजिए।
यक़ीन मानिए, ये तोहफ़े वो कभी नहीं भूलेंगे।

📌 छोटा सा सारांश – rakshabandhan 2025 को यादगार कैसे बनाएं:

  • 📅 तारीख: 19 अगस्त 2025
  • ⏰ मुहूर्त: 10:45 AM से 7:05 PM
  • ❤️ याद रखें, राखी केवल रस्म नहीं, रिश्ते का एहसास है।
  • 🌟 पौराणिक कहानियाँ जोड़ें, बच्चों को भी बताएं।
  • 💌 इस बार भावनाओं का उपहार दें – शब्दों का, समय का और साथ का।

✍️ अंत में एक बात…

शायद हम हर दिन एक-दूसरे से नहीं कहते कि “मैं तेरे लिए हमेशा रहूँगा…”
लेकिन रक्षाबंधन का ये एक धागा, वो सारी बातें कह जाता है — बिना बोले।

rakshabandhan 2025 आपके जीवन में प्रेम, अपनापन और अपनों की सुरक्षा लेकर आए — यही दिल से शुभकामनाएँ।

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