गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) : 10 महाविद्याओं की आराधना, जानें क्यों मानी गई है खास

में गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) यानी मां दुर्गा की शक्ति की उपासना का पर्व , मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करने का विधान है। इन दिनों भी 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा से नवमीं तक प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।

गुप्त नवरात्रि 2022
आषाढ़ नवरात्रि तिथि 2022 नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) का पहला दिन तिथि – प्रतिपदा 2 फरवरी 2022 घटस्थापना, कलश स्थापना, शैलपुत्री पूजा
नवरात्रि का दूसरा दिन तिथि – द्वितीया 3 फरवरी 2022, ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि का तीसरा दिन तिथि – तृतीया 4 फरवरी 2022, चंद्रघंटा पूजा
नवरात्रि का चौथा दिन तिथि – चतुर्थी+ पंचमी 5 फरवरी 2022, कुष्मांडा पूजा, स्कंदमाता पूजा
नवरात्रि का पांचवा दिन तिथि – षष्ठी 6 फरवरी 2022, कात्यायनी पूजा
नवरात्रि का छठा दिन तिथि – सप्तमी 7 फरवरी 2022, कालरात्रि पूजा
नवरात्रि का सातवां दिन तिथि – अष्टमी 8 फरवरी 2022, महागौरी पूजा
नवरात्रि का अाठवां दिन तिथि – नवमी 9 फरवरी 2022, सिद्धिदात्री पूजा, नवरात्रि पारण, नवरात्री हवन
इस वर्ष मंगलवार से माघ मास की गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होकर, 2 फरवरी से 10 फरवरी 2022 तक रहेंगे। गुप्त नवरात्रि हमेशा माघ और आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में ही मनाई जाती हैं। इन नवरात्रि में 10 महाविधाओं का पूजन होता है। ये नवरात्रि तंत्र साधना के लिए बहुत अधिक महत्व की मागी गई हैं।
गुप्त नवरात्रि क्या है (Gupt Navratri 2022)
गुप्त नवरात्रि किसी खास मनोकामना की पूजा के लिए तंत्र साधना का मार्ग लेने का पर्व है। किंतु अन्य नवरात्रि की तरह ही इसमें भी व्रत-पूजा, पाठ, उपवास किया जाता है। इस दौरान साधक देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के अनेक उपाय करते हैं। इसमें दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ काफी लाभदायी माना गया है। यह नवरात्रि धन, संतान सुख के साथ-साथ शत्रु से मुक्ति दिलाने में भी कारगर है।
गुप्त नवरात्रि की देवियां (Gupt Navratri 2022)
गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या के लिए मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी का पूजन करते हैं।
गुप्त नवरात्रि का महत्व (Gupt Navratri 2022)
देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेष कर तांत्रिक कियाएं, शक्ति साधनाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है।
इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या-पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
ज्ञात हो कि वर्ष में आदि शक्ति मां भगवती की उपासना के लिए चार नवरात्रि आती है। इसमें दो गुप्त एवं दो उदय नवरात्रि होती हैं। (Gupt Navratri 2022)
चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि उदय नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह गुप्त नवरात्रि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के इलाकों में खास तौर पर मनाई जाती है।
गुप्त नवरात्रि में भी नौ दिनों तक क्रमानुसार देवी के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में मां भगवती के गुप्त स्वरूप काली, तारा, बगला, षोडशी, आदि की आराधना की जाएगी। इन दिनों में मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाएगी।