सम्पूर्ण आरती संग्रह – Sampoorna Aarti Sangrah
आरती (Aarti) पूजा के दौरान करने वालि एक महत्वपूर्ण बिधि है |
यह एक प्रकार से धार्मिक अनुष्ठान भी कहा जाता है |
यह भक्ति करने का एक सशक्त माध्यम हैं |
आरती का आयोजन मंदिरों और घरों में सुबह शाम किया जाता है |
यहाँ भगवन की पूजा करने क बाद भक्त इस पवित्र कर्म को करते है |
मंदिरों म रात्रि को आरती करने क बाद ही पैट बंद किये जाते है ,इसी कारन यह पूजा की समाप्ति का भी प्रतीक मन जाता है |

आरती का शाब्दिक अर्थ “प्रकाश का चक्र ” होता है ,जो दीपक की लौ को भगवन क सामने चरों तरफ घुमाकर किया जाता है |
इस प्रक्रिया में दीपक या दिया को भगवन क चरों तरफ घुमाया जाता है ,जो पंचमुखी या एक मुखी होते है|
इस दौरान भक्ति मंत्र ,भजनों ,श्लोकों और आरती का गान भक्तों द्वारा किया जाता है | यह एक बहुत ही पवित्र बिधि है |
जिसे पूजा के बाद हर घर और मंदिर मे किया जाता है , यह वातावरण को भक्तिमय और दिव्या बनाती है |
आरती (Aarti) का आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के आधार पर आरती करने से हमें पुण्य फल की प्राप्ति होती है |
शास्त्रों के अनुशार ऐसा माना जाता है की आरती करने बाले के साथ साथ आरती सुनने बाले पर भी भगवन की कृपा होती है |
इसके धार्मिक और मनोवैज्ञानिक महत्व भी है |
आरती के दौरान दीपक से होने बाले प्रकाश से अंधकार भी दूर होता है |
यह हमारे जीवन से नकारात्मकता और अज्ञानता को मिटाता है |
आरती के दौरान शंख, धुप ,अगरबत्ती, कपूर और घंटी बजाने का विशेष महत्व है |
ये सभी तत्व मिलकर वातावरण को पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं।
आरती के समय भगवान का स्मरण और ध्यान करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

आरती के प्रकार
इसको विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे:
- दीप आरती: जिसमें घी या तेल से भरे दीए का उपयोग किया जाता है।
- धूप आरती: जिसमें धूप या अगरबत्ती को जलाकर भगवान के समक्ष घुमाया जाता है।
- फूल आरती: जिसमें ताजे फूलों की माला का उपयोग किया जाता है।
- पंचारती: जिसमें पांच वस्तुओं से आरती की जाती है – दीपक, धूप, नैवेद्य, पुष्प, और जल।
आरती (Aarti) के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- आरती करते समय पूर्ण समर्पण और श्रद्धा भाव से भगवान का ध्यान करें।
- आरती करते समय मन को शांत रखें और किसी प्रकार के नकारात्मक विचारों से मुक्त रहें।
- आरती के बाद दीपक की लौ से अपने हाथों को गर्म करें और उन हाथों को सिर पर स्पर्श करें, जिसे आशीर्वाद के रूप में माना जाता है।
- आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें, जो भक्तों के लिए भगवान का आशीर्वाद माना जाता है।

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