Diwali 2021 कैसे मनाएँ, Diwali 2021 पर विशेष मुहूर्त एवं सम्पूर्ण जानकारी
Diwali 2021 कैसे मनाएँ, Diwali 2021पर विशेष मुहूर्त एवं सम्पूर्ण जानकारीAdvertisement
हम सब जानते है Diwali 2021 का महत्व सबके मन में एक ही सवाल आता है हम Diwali 2020 क्यों मनाते है.
आखिर इसके पीछे क्या कारण है, कुछ लोगों का मानना है की दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे.
उनके अयोध्या आने की खुशी में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. दीपावली मनाने के पीछे अलग अलग राज्यों और धर्मो में अलग-अलग कारण व्याप्त हैं.
सबको पता है की धर्म कोई भी हो मगर इस दिन सभी के मन में उल्लास और प्रेम का दीप जलता है. हम सभी अपने अपने घरो की साफ-सफाई करते हैं.
घरों में कई मिट्ठे दिवाली के पकवान बनते हैं। हम आपको बताते है. पौराणिक और ऐतिहासिक कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में जिसकी वजह से न केवल हिंदू बल्कि पूरी दुनिया के लोग दिवाली का त्यौहार को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं.
हम में से हर कोई रोशनी के उत्सव Diwali 2021 को बड़े ही उल्लास के साथ मनाता है.
यह रोशनी या प्रकाश का उत्सव है जिसमें हर कोने के अंधेरे को रोशनी से दूर किया जाता है ताकि कोई भी जगह अंधकार के वश में न रहे.
यहाँ अंधकार का आशय बाहरी अंधकार और भीतरी अर्थात मन के अंधकार से भी है. भीतरी अंधकार का आशय अज्ञान और अहंकार से है.
दीपावली का महत्व – Diwali 2021 मनाने का कारण
यह बात हर कोई जानता है की दीपावली क्यों मनाई जाती है.
यह कथा हमारे इतिहास में वर्णित है कि, भगवान श्रीराम चन्द्र ने अपने वनवास काल के दौरान अहंकारी रावण का वध कर माता सीता को उसके कैद से मुक्त किया था.
चौदह वर्षों का वनवास पूर्ण कर जब वे अपने नगर अयोध्या पहुंचे तो उनके नगर के लोगों ने पूरे नगर को दुल्हन की तरह सजा कर प्रकाशमान किया और अपने प्रिय राजा के लौटने की खुशी में दिवाली मनाई.
Diwali 2021 मनाने की परंपरा की शुरुआत भी यहीं से मानी जाती है.
Diwali 2021 मनाने से जुड़ी एक और कथा इस प्रकार है, श्री कृष्ण ने दीपावली के एक दिन पहले पापी राक्षस नरकासुर का वध किया था.
नरकासुर एक पापी व दुष्ट दैत्य था जो अपनी शक्ति के बल पर अनेक देवताओं को परेशान करता था, अपनी शक्ति के मद में चूर वह ऐसे अनेक अधर्म करता था, नरकासुर ने सोलह हज़ार कन्याओं को बंदी बनाकर रखा था.
परंतु उसे यह शाप था कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथो होगी। सभी देवों ने भगवान श्री कृष्ण से निवेदन किया कि वे नरकासुर का संहार कर उनकी रक्षा करें.
तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बना कर नरकासुर का संहार किया और उन सभी बंदी कन्याओं को भी दैत्य के चंगुल से मुक्त किया.
इस वजह से नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है और लोगों ने इसके अगले दिन उल्लास के साथ दीपक जलाकर दिवाली का उत्सव भी मनाया.
Diwali 2021 मनाने का तरीका एवं दिवाली की जानकारी
दिवाली कैसे मनाई जाती है पाँच दिनों के उत्सव Diwali 2021 की तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है.
लोग Diwali 2021 के पहले ही अपने घरों की साफ सफाई शुरू कर देते हैं. दीवारों की रंगाई व पुताई भी शुरू हो जाती है.
घर का हर सदस्य इस बात को लेकर बहुत सोच विचार करता है की इस बार घर की दीवारों को किस रंग से रंगा जाये की घर ज़्यादा सुंदर लगे.
साल भर से जमा पुरानी चीजों को बाहर निकाल कर घर की सफाई की जाती है.
Diwali 2021 और धनतेरस की खरीददारी
धनतेरस पर क्या खरीदें धनतेरस का मतलब. Diwali 2021 के पहले ही खरीददारी की शुरुआत भी हो जाती है.
अक्सर लोग दिवाली के पहले घर के लिए नई चीज़ें जैसे, फर्नीचर, इलेकट्रोनिक उपकरण, सजावटी समान आदि खरीदते हैं.
धनतेरस का दिन खरीदी का एक विशेष दिन होता है. धनतेरस पर क्या खरीदें, कई लोग मुहूर्त देखकर सोने, चाँदी या अन्य धातु की वस्तुएं खरीदते हैं.
Diwali 2021 का त्यौहार विभिन्न धर्मों के साथ दीपावली का महत्व
वैसे तो दीपावली 2021 को हिंदुओं का एक खास और प्रमुख त्यौहार माना जाता है पर देश के विभिन्न कोनों में अलग अलग धर्म को मनाने वाले लोग भी इसे उतने ही उल्लास और हर्ष के साथ मानते हैं.
भले ही Diwali 2021 मनाने के कारण उनके लिए अलग हों, पर भारत के दक्षिण हिस्से को छोडकर लगभग हर राज्य में दिवाली का त्यौहार अपनी खास वजह के साथ खुशी के रूप में मनाया जाता है.
सिक्खों के लिए दिवाली का महत्व
सिक्ख समुदाय के लोग भी बड़े उत्साह के साथ Diwali 2021 मानते हैं, सिक्खों कि पवित्र स्थली स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास इसी दिन किया गया था, इस दृष्टि से सिक्ख समुदाय के लिए यह दिन खास होता है.
इसके अलावा सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द जी को इसी दिन जेल से रिहा किया गया था. उनके अनुयायिओं ने इस खुशी को दिवाली के रूप में मनाया.
जैन समुदाय के लिए Diwali 2021 का महत्व
जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवे तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, जैन लोग इस दिवस को निर्वाण दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं.
Diwali 2021 कैसे मनाई जाती है
रोशनी के साथ Diwali 2021 खुशियाँ बांटने का एक पर्व है. दिवाली के दिन शाम से ही घर के हर कोने को प्रकाश द्वारा आलोकित किया जाता है जिसके लिए विभिन्न प्रकार की रंगीन लाइटों द्वारा भी विशेष सजावट की जाती है.
घर के दरवाजों को फूल की मालाओं से सजाया जाता है.
इस त्यौहार में गेंदे के फूलों का बड़ा महत्व होता है. चूंकि इस मौसम में ही गेंदे के फूल खिलने शुरू होते हैं और इस पीले नारंगी फूलों के साथ आम के पत्तों का तोरण दरवाज़े पर लगाया जाता है. कई लोग इस दिन दरवाजे के दोनों ओर केले के पत्ते भी लगाते हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में भी Diwali 2021 के उत्साह में किसी प्रकार की कोई कमी दिखाई नहीं देती. अपने घर से दूर रहकर नौकरी करने या बाहर शहरों में पढ़ने वाले लोग इस त्यौहार पर अपने घर आते हैं.
महिलाएं अपने घर के आँगन की लिपाई कर उस में रंगोली बनती हैं. दिवाली के त्यौहार पर रंगोली का अपना एक विशेष महत्व है.
शाम के समय लोग नए कपड़े पहन कर लक्ष्मी पूजा की तैयारियों में लग जाते हैं. कई तरह से फूलों और भोग के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है.
पश्चिम बंगाल में Diwali 2021
पश्चिम बंगाल में Diwali 2021 की रात को महानिशा अर्थात माँ काली की पूजा भक्ति भाव के साथ की जाती है.
इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में लक्ष्मी पूजा के साथ गणेश और सरस्वती की पूजा का भी विधान है। लोग देवी देवता की आराधना कर माँ लक्ष्मी से सदा घर में रहने का निवेदन करते हैं.
इसके पश्चात दीपदान और पटाखे जलाए जाते हैं. पूजा स्थान के साथ घर के हर कोने में दीपक जलाने की परंपरा होती है.
पूजा के बाद भोग प्रसाद का वितरण किया जाता है और लोग अपने आस पड़ोस तथा करीबी संबंधियों को मिठाई के साथ दीपावली की शुभकामना देते हैं.
इस अवसर पर बच्चे अपने बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और बड़े इसके बदले उन्हें आशीर्वाद स्वरूप भेंट इत्यादि भी देते हैं.
Diwali 2021 पूजा शुभ और Puja टाइमिंग :
दीपावली पूजा केवल परिवारों में ही नहीं, बल्कि Office में भी की जाती है. पारम्परिक hindu व्यवसायियों जो की माता लक्ष्मी की पूजा करते है.
उनके लिए Diwali 2021 पूजा का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस दिन स्याही की बोतल, कलम और नये बही-खातों की भी पूजा की जाती है.
दावात और लेखनी पर देवी महाकाली की पूजा कर दवात और लेखनी को पवित्र किया जाता है और नये बही-खातों पर देवी सरस्वती की पूजा कर कंपनी के बही-खातों को भी पवित्र किया जाता है.
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए सबसे शुभ समय सूर्यास्त के बाद का होता है. सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष कहा जाता है.
प्रदोष के समय व्याप्त अमावस्या तिथि दीवाली पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है.
अतः Diwali 2021 पूजा का दिन अमावस्या और प्रदोष के इस योग पर ही निर्धारित किया जाता है.
इसलिए प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेस्ठ होता है और यदि यह मुहूर्त एक घटी के लिए भी उपलब्ध हो तो भी इसे पूजा के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
आइये जानते है इस बार पड़ने वाली दीवाली पर महालक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त एवं लक्ष्मी पूजन का समय 2021
Diwali 2021 लक्ष्मी-गणेश पूजन शुभ मुहूर्त
दिवाली 2021, 4 नवंबर, गुरुवार
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट
अवधि: 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल – 17:34:09 से 20:10:27 तक
वृषभ काल – 18:10:29 से 20:06:20 तक
अमावस्या तिथि का प्रारम्भ – 4 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से
अमावस्या तिथि का समापन – 5 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक
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Diwali 2017 का महत्व
Happy Diwali
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