देश के इन राज्यों में फैल रहा है ब्लैक फंगस, जानिए इसके लक्षण और सावधानियां
देश के इन राज्यों में फैल रहा है ब्लैक फंगस, जानिए इसके लक्षण और सावधानियां
कोरोना को हराने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है। यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है। आइए जानते हैं किन-किन राज्यों में यह फैल चुका है और इसके लक्षण क्या हैं।

गुजरात
गुजरात में म्यूकोरमाइकोसिस के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं। स्थिति इतनी खराब है कि राज्य सरकार ने इसके लिए अलग से वार्ड बनाने शुरू कर दिए हैं। यहां अबतक 200 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) से 52 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 8 मरीजों के एक आंख की दृष्टि गायब हो गई है, जिससे उन्हें दिखाई देना बंद हो गया है।
दिल्ली
दिल्ली में भी म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले सामने आ रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एम्स में 75-80 मामले, मैक्स अस्पताल में 50 और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पतालों में 10 मामले सामने आए।
हरियाणा
हरियाणा में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के 115 मामले सामने आ चुके हैं और राज्य सरकार इस संबंध में विभिन्न कदम उठा रही है, जिनमें विशेष उपचार के लिये मेडिकल कॉलेजों में 20 बिस्तरों वाला वार्ड बनाया जाना शामिल है।
ओडिशा
ओडिशा में सोमवार (10 मई) को पहला ब्लैक फंगस का मामला सामने आया। इसके बाद राज्य में मामले बढ़ते ही गए। सरकार ने मरीजों में ब्लैक फंगस की निगरानी को लेकर सात सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है।
पटना
बिहार में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पटना में रविवार को पांच नए मरीज सामने आए हैं। अभी तक राजधानी के अस्पतालों में कुल 30 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज इलाज करा रहे हैं।
मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में भी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले देखने को मिले हैं। इस बीमारी से अबतक यहां दो लोगों की जान चली गई है। राज्य में इसके 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। राज्य के डॉक्टर इसके इलाज के लिए अमेरिकी डॉक्टर से परामर्श ले रहे हैं।
राजस्थान
राजस्थान में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया है. यह कई राज्यों में तेजी से फैल रहा है, इसलिए इसपर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. यहां जयपुर में 14 से ज्यादा मामले आ चुके हैं और कई मरीजों ने अपनी आंख की रोशनी तक खो दी है।
तेलंगाना
हैदराबाद में भी ब्लैक फंगस के 60 के करीब मामले सामने आ चुके हैं। यहां हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से लगभग 50 मामले एक महीने के अंदर जुबली हिल्स स्थित अपोलो अस्पताल में सामने आए हैं।
केरल
केरल में भी ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मामले सामने आए हैं। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस बात की जानकारी दी। स्वास्थय विभाग ने मरीजों के सैंपल लिए हैं और टेस्ट किए जा रहे हैं।
कर्नाटक
इन पांच राज्यों के अलावा कर्नाटक में भी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले देखने को मिल रहे हैं। बंगलूरू में पिछले दो हफ्तों में इस बीमारी के 38 मामले सामने आए हैं।

जानिए क्या हैं ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस के लक्षण यह हैं कि लोगों के नाक से डिस्चार्ज निकलना, जो ब्लड के साथ निकलता है। आंख के नीचे दर्द होना और कई बार लोगों को उनकी नाक बंद हुई महसूस होती है। यह सभी इसके प्रारंभिक सिम्टम्स हैं. यह पोस्ट कोविड मरीजों के अंदर आते हैं। जो कोरोना मरीज इलाज करा रहे हैं, उनमें भी ब्लैक फंगस के सिम्टम्स आ रहे हैं।
जानिए यह बीमारी कैसे होती है
इस बीमारी को म्युकोरमायसेसिस कहते हैं। आम तौर पर यह इंफेक्शन वातावरण के अंदर रहता है। लोगों के शरीर में इतनी प्रतिरोधक क्षमता होती है कि उनको यह ग्रसित नहीं करता, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे इसकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिसे हम साइनोऑर्बिटल सेबरेरल कहते हैं। यह नाक से प्रवेश करता है, फिर आंख में चला जाता है। आंख से यह दिमाग में चला जाता है। कई बार यह नाक से नीचे मुंह के अंदर तालू में भी आ जाता है।
जानिए क्या हैं ब्लैक फंगस के सावधानियां
- सामान्य व्यक्ति तो दिन में दो बार ब्रश करें।
- पानी को बोतल करें प्रतिदिन साफ।
- मरीज अगर होश में है तो सामान्य व्यक्ति की तरह प्रतिदिन मुंह साफ करें।
- मरीज अगर होश में नहीं है तो डेमिकल माउथ पेंट डालकर मुंह साफ कर सकते हैं।
- जिस व्यक्ति को आक्सीजन लगी है और होश में नहीं है तो मेडिकल स्टाफ द्वारा प्रतिदिन उनके मुंह की सफाई करानी चाहिए। यह सिर्फ कोविड में ही नहीं नॉन कोविड मरीजों के साथ करना होगा।
जानिए क्या लाइपोजोमल इंजेक्शन मरीज के लिए ज्यादा सुरक्षित
इलाज में सबसे उपयोगी एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरिसन- बी लाइपोजोमल है। यह पहले करीब पांच- छजार रुपये में मिल जाता था। मांग नहीं होने की स्थिति में एमआरपी से कम कीमत पर भी मिल जाता था, लेकिन अब एमआरपी से अधिक कीमत पर भी मुश्किल से मिल रहा है। एम्फोटेरिसन- बी में भी कई श्रेणी के इंजेक्शन आते हैं। कन्वेंशनल इंजेक्शन सस्ता पड़ता है पर इसे देने पर मरीज की किडनी की मानीटरिंग करनी पड़ती है ताकि दुष्प्रभाव का पता चलता रहे।