Dussehra 2024 आइये जाने दशहरा कब और कैसे मनाया जाता हैं
दशहरे का त्योहार धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने पत्नी सीता को लंकेशपति रावण के चंगुल से छुड़ाकर अहंकारी रावण का वध किया था तभी से ही दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व मनाया जाता आ रहा है। हर साल दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला जलाकर धूमधाम से दशहरा मनाते हैं।
पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े हर्षोल्लास के साथ ये पर्व मनाया जाता है। वहीं इस वर्ष 12 () अक्टूबर 2024 को दशहरा पड़ रहा है। तो आइए जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में…
दशहरा शुभ मुहूर्त
ज्योतिष अनुसार 24 अक्टूबर 2023 को विजयादशमी यानी दशहरा की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 02:05 बजे से 02:51 बजे तक है।
दशहरे का धार्मिक महत्व (Dussehra Information)
Dussehra 2023 मान्यता है कि इस दिन श्री राम जी ने रावण को मारकर असत्य पर सत्य की जीत प्राप्त की थी, तभी से यह दिन विजयदशमी या दशहरे के रूप में प्रसिद्ध हो गया.
दशहरे 2023 के दिन जगह-जगह रावण-कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं.
देवी भागवत के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को परास्त कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी इसलिए दशमी के दिन जगह-जगह देवी दुर्गा की मूर्तियों की विशेष पूजा की जाती है.
पुराणों और शास्त्रों में दशहरे से जुड़ी कई अन्य कथाओं का वर्णन भी मिलता है. लेकिन सबका सार यही है कि यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है.
यह भी मान्यता है की नवरात्री के 9 दिनों को तीन गुणों से वर्गीकृत किया जाता है: तामस राजस और सत्त्व.
पहले तीन दिन तामस से जुड़े है जिसमे उग्र प्रकार की देवियाँ जैसे काली और दुर्गा आती है. अगले तीन दिन देवी लक्ष्मी से सम्बंधित है.
और आखरी के तीन दिन देवी सरस्वती से सम्बंधित है जो सत्त्व की परिचायक है.
नवरात्री खत्म होने के बाद दसवे दिन को विजयादशमी आती है. इसका अर्थ यह है की मनुष्य ने नवरात्री की तीन गुणों पर विजय प्राप्त कर ली है.
क्यूंकि मनुष्य ने इन तीनो गुणों को समझा लेकिन किसी भी गुण के सामने समर्पण नहीं किया इसीलिए दसवे दिन को विजय का दिन या विजयादशमी कहा जाता है.
इससे यह साबित होता है की हमारे जीवन की महतवपूर्ण मामलों पर श्रध्दा और कृतज्ञता से ध्यान देने से हम सफलता और जीत हासिल कर सकते है.
दशहरा पूजा विधि (Dussehra Puja Vidhi)
दशहरे Dussehra 2023 वाले दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपटकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफ़ाई करके गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। इसके बाद पूजास्थल पर प्रभु श्री राम, माता सीता और संकटमोचन हनुमान जी का विधिवत पूजन करें।
वहीं कई जगहों पर दशहरे वाले दिन पर गाय के गोबर से 10 गोले बनाकर इनके ऊपर जौ के बीज लगाए जाते हैं।
इसके बाद भगवान को धूप-दीप दिखाकर पूजन किया जाता है और फिर इन गोबर के गोलों को जला दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गोबर के इन दस गोलों को रावण के 10 सिर मानकर अपने भीतर के अहंकार, बुराई और लालच को खत्म करने की भावना के साथ जलाया जाता है।
जानिए दशहरा Dussehra 2023 / विजयदशमी मनाये की प्रचलित कथाएं
पहली कथा इस प्रकार है- प्राचीन काल में जब महिषासुर नामक राक्षस तपस्या कर रहा था तो उसकी तपस्या से खुश होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वरदान दिया था.
वरदान प्राप्त करने के बाद महिषा सुर और ज्यादा हिंसक हो गया था उसने अपना आतंक इतना ज्यादा फैला रखा था की सारे देवतागण उसके भय के कारण देवीदुर्गा की आराधना करने लगे.
ऐसा माना जाता है की देवी दुर्गा के निर्माण होने में देवताओं का सहयोग था महिषा सुर के आतंक से बचने के लिए देवताओं ने अपने अस्त्र शस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे तब जाकर देवी दुर्गा और शक्तिशाली हो गयी थी.
इसके बाद महिषा सुर को समाप्त करने के लिए देवी दुर्गा ने महिषा सुर के साथ पूरे 9 दिन युद्ध की थी और महिषा सुर का वध करने के बाद देवी दुर्गा महिषासुर मर्दिनी कहलाई. तभी से नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है.
दूसरी कथा- विजयादशमी की पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम को जब आयोद्धा छोड़कर 14 वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा था
और उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का हरण कर लिया था तब भगवान राम सीता माता को वापस लाने के लिए नौ देवियों की पूजा की थी.
पूजा से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने श्री राम भगवान को वरदान दिया था और कई शक्तियां भी प्रदान की थी
वरदान प्राप्त करने के बाद दशमे दिन भगवान श्री राम और रावण का युद्ध हुआ और इसी युद्ध में रावण का वद्ध हुआ था और तभी से राम नवमी और विजयादशमी(Dussehra 2020) का त्यौहार मनाया जाता है.
दशहरा स्पेशल रेसिपी (आलू लच्छा नमकीन) – Dussehra 2023
दशहरे के दिन शाम के समय बाहर घूमने-फिरने का प्लान करते हैं.
अगर इस दिन खाने की बात करें तो लोग जलेबी विशेष रूप से खाना पसंद करते हैं. इसके अतिरिक्त नवरात्र के समाप्त होने पर कुछ हल्का नमकीन भी लेना पसंद करते हैं.
तो चलिए आज हम आपको एक ऐसी रेसिपी बताने जा रहे हैं जो चटपटी होने के साथ नवरात्र के नौ दिनों के व्रत के बाद आपके पेट पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं डालेगी.
आलू लच्छा नमकीन Dussehra 2023
व्रतों में अधिकतर आलू का इस्तेमाल किया जाता है.
आलू लच्छा नमकीन बेहद ही कुरकुरी, स्वादिष्ट और व्रतों के लिए पौष्टिक आहार हो सकता है. आइए जानते हैं इसे बनाने की विधि.
आवश्यक सामग्री
1. आलू- 4 -5 (लगभग आधा किलो)
2. मूंगफली के दाने- 200 ग्राम
3. सेन्धा नमक- 1 चम्मच
4. काली मिर्च पाउडर- 1 चम्मच
5. तेल- दो-चार चम्मच
बनाने की विधि – Dussehra 2023
आलू को अच्छी तरह से धोकर सूखा लीजिए.
इसके बाद इन्हें छील कर मोटा कद्दूकस कर लीजिए.
इसके बाद आपको जो लच्छे मिले उन्हें भी धो लीजिएं. अब इन्हें अच्छे तरीके से छलनी में छानकर किसी सूखे कपडे या साफ़ तोलिये से पौंछ लीजिए ताकि सारा अतिरिक्त पानी खत्म हो जाए.
अब एक कड़ाही में थोड़ा-सा तेल गरम कीजिए. जब तेल गरम हो जाए तो इसमें लच्छे का एक टुकड़ा डालकर चैक कर लीजिए कि तेल सही से गर्म हुआ है या नहीं.
अब इसमें जितने लच्छे आ सकते हैं उतने डालकर धीमी आंच पर पकने दीजिए. थोड़ी देर में तेल में झाग बनने लगेंगे. जैसे ही यह झाग थोड़े कम हों इन लच्छों को करछी चला लीजिए.
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जब यह थोड़े क्रिस्पी हो जाएं तो छलनी से छान लीजिए ताकि बाकि का तेल वापस कड़ाही में चला जाए.
फिर इन्हें किसी बर्तन पर दूसरी छलनी रख कर डाल दीजिए जिससे की बचा हुआ तेल भी निकल जाए. आपके आलू के लच्छे तैयार हैं.
आप अब कड़ाही में बचे हुए तेल में मूंगफली के दाने डालिये. इनको करछी से चलाते हुए तब तक भूनिये जब तक कि इनका रंग न बदल जाए.
मूंगफली को लगभग 3 से 5 मिनट तक तलना है. रंग बदलते ही आपकी मूंगफली भी तैयार हैं. इन्हें भी छलनी में छान लीजिए.
अब मूंगफली के दानों और आलू के लच्छों को किसी एक बर्तन में डाल कर इसमें काली मिर्च पावडर और सेंधा नमक डालकर अच्छे से मिला दीजिए. लीजिएं आपके आलू लच्छा नमकीन तैयार है.
आप चाहें तो मूंगफली के स्थान पर अन्य ड्राई फ्रूट्स का भी प्रयोग कर सकते हैं।
विजयदशमी पर्व क्यों Dussehra 2023
इसलिए है की इस दिन से हमें अच्छे कर्म करने की शिक्षा मिलती है गर हम भी बेकार कर्म करेंगे तो हमें भी नरक जाना होगा.
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार विजयदशमी पर्व जो की “बुराई पर अच्छाई की जीत” का प्रतिक है, गुण ग्रहण का भाव रहे नित, द्रष्टि न दोषों पर जावे.
आइये .विजयदशमी पर अच्छाई पर बुराई की विजय मनाये.
रावण के पुतले को नहीं..रावण की बुराई को मिटाए.
Happy Dussehra to all of you.