Durga Ashtami 2022 : दुर्गा अष्‍टमी की तिथि और कन्‍या पूजन का सही समय

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Durga Ashtami 2022 : दुर्गा अष्‍टमी की तिथि और कन्‍या पूजन का सही समय

पूरे देश में धूमधाम से नवरात्रि (Navratri) का त्‍योहार मनाया जा रहा है. नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा (Maa Durga)

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के अलग-अलग नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. खासतौर से उत्तर भारत में भक्‍त मां दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए इन नौ दिनों में व्रत रखते हैं. व्रत के दौरान अष्‍टमी (Durga Ashtami 2022) यानी कि व्रत के आठवें दिन नौ कन्‍याओं का पूजन (Kanya Pujan) करने का विधान है. यही नहीं जो लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं वे भी अष्‍टमी का व्रत रखते हैं और कंजक पूजा (Kanjak Puja) भी करते हैं. वहीं दूसरी तरफ बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा और मणिपुर में दुर्गा पूजा में अष्‍टमी का विशेष महत्‍व है. पंडालों में इस दिन दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान किया जाता है.

शक्ति की आराधना के लिए नवरात्रि का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। वहीं अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से 4 अक्टूबर 2022 तक है। वहीं दुर्गा अष्टमी का व्रत 3 अक्टूबर 2022 को पड़ रहा है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा का विधान है। तो आइए जानते हैं दुर्गा अष्टमी के दिन कौन से काम करने से महागौरी को प्रसन्न कर सकते हैं…

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Durga Ashtami 2018

अष्‍टमी कब है? – Durga Ashtami 2022

नवरात्रि या नवरात्र के आठवें दिन अष्‍टमी मनाई जाती है. इस बार अष्‍टमी रविवार, 2 अक्टूबर 2022 को है.

अष्‍टमी तिथि प्रारंभ

  • अष्टमी प्रारंभ तिथि: 02 अक्टूबर 2022 शाम 06:47 बजे
  • अष्टमी समाप्ति तिथि : 03 अक्टूबर 2022 शाम 04:37 बजे

अष्‍टमी कैसे मनाई जाती है? – Durga Ashtami 2022

अष्‍टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी का पूजन किया जाता है. सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्‍याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित किया जाता है. सभी कन्‍याओं और बालक की पूजा करने के बाद उन्‍हें हल्‍वा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है. इसके अलावा उन्‍हें भेंट और उपहार देकर विदा किया जाता है. वहीं बंगाली परिवारों में दुर्गा अष्‍टमी का विशेष महत्‍व है. इस दिन लोग सुबह-सवेरे नहा-धोकर नए कपड़े पहनकर पुष्‍पांजलि के लिए पंडाल जाते हैं.

जब ढेर सारे लोग मां दुर्गा पर पुष्‍प वर्षा करते हैं तो वह नजारा देखने लायक होता है. महा आसन और षोडशोपचार पूजा के बाद दोपहर में लोग अष्‍टमी भोग के लिए इकट्ठा होते हैं. इस भोग के तहत भक्‍तों में दाल, चावल, पनीर, बैंगन भाजा, पापड़, टमाटर की चटनी, राजभोग और खीर का प्रसाद बांटा जाता है. पूजा पंडालों में इस दिन अस्‍त्र पूजा और संधि पूजा भी होती है. शाम के समय महाआरती होती है और कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

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कन्‍या पूजन का शुभ मुहूर्त – Durga Ashtami 2022

अष्‍टमी के दिन कैसे करें कन्‍या पूजन – Durga Ashtami 2022

 कन्‍या पूजन के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान कर भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें.

 कन्‍या पूजन के लिए दो साल से लेकर 10 साल तक की नौ कन्‍याओं और एक बालक को आमंत्रित करें. आपको बता दें कि बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है. मान्‍यता है कि भगवान शिव ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के
लिए बटुक भैरव को तैनात किया हुआ है. कहा जाता है कि अगर किसी शक्‍ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं.

 ध्‍यान रहे कि कन्‍या पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिए. कन्‍या रूपी माताओं को स्‍वच्‍छ परिवेश में ही बुलाना चाहिए.

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 कन्‍याओं को माता रानी का रूप माना जाता है. ऐसे में उनके घर आने पर माता रानी के जयकारे लगाएं.

 अब सभी कन्‍याओं को बैठने के लिए आसन दें.

फिर सभी कन्‍याओं के पैर धोएं

 अब उन्‍हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं.

 इसके बाद उनके हाथ में मौली बाधें.

 अब सभी कन्‍याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती करें.

 आरती के बाद सभी कन्‍याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं. आमतौर पर कन्‍या पूजन के दिन कन्‍याओं को खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दिया जाता है.
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 भोजन के बाद कन्‍याओं को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें.

 इसके बाद कन्‍याओं के पैर छूकर उन्‍हें विदा करें.

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