Cataract – मोतियाबिंद के कारण, लक्षण और उससे संबंधी उपचार की जानकारी
Cataract-मोतियाबिंद एक आम समस्या बनती जा रही है, अब तो युवा भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।
अगर इसका इलाज समय पर न हो तो आप अंधेपन के शिकार हो सकते हैं |

कारण:
मोतियाबिंद(Cataract) कई कारणों से होता है|
- आंखों में लंबे समय तक सूजन रहना।
- जन्मजात सूजन।
- आंख की संरचना में कमी।
- आंख में चोट लगना।
- चोट का घाव लंबे समय तक रहना।
- कनीनिका में जख्म बनना।
- दूर की चीजें धूमिल दिखना।
- आंख के परदे का अलग हो जाना।
- गंभीर दृष्टि दोष।
- लंबे समय तक तेज रोशनी या गर्मी में काम करना।
- डायबिटीज।
मोतियाबिंद (Cataract) / Motiabind के प्रकार
आमतौर से मोतियाबिंद (Cataract) दो प्रकार का होता है-
1. कोमल
2. कठोर
कोमल मोतियाबिंद का रंग कुछ नीला-सा होता है। यह बचपन से तीस-पैंतीस वर्ष की उम्र तक हुआ करता है।
कठोर मोतियाबिंद अक्सर अधिक उम्र वालों को होता है। इसमें आंख का रंग धुंधला-सा व हल्का पीला दिखाई देता है।
आयुर्वेद के अनुसार मोतियाबिंद (Cataract) छह प्रकर का होता है-
- वाजत मोतियाबिंद
- कफज मोतियाबिंद
- पित्तज मोतियाबिंद
- सन्निपातज मोतियाबिंद
- रक्तज मोतियाबिंद
- परिम्लामिन मोतियाबिंद

रोग के लक्षण (Cataract symptoms)
वातज मोतियाबिंद (Cataract) में रोगी को सभी चीजें चलती-फिरती और मलिन दिखाई देती हैं।
कफज मोतियाबिंद में चीजें चिकनी और सफेद दिखाई देती हैं तथा आंखों में पानी-सा भरा रहता है।

पित्तज मोतियाबिंद में आग, सूर्य, चंद्रमा, और चमकदार चीजें नीली होती नजर आती हैं।
सन्निपातज मोतियाबिंद में चीजें विचित्र आकार और रंग की दिखाई देती हैं। सब कुछ चमकीला दिखता है।
रोगी को वातज, कफज, और पित्तज मोतियाबिंद के मिश्रित लक्षण नजर आते हैं।
मोतियाबिंद (Motiyabind) का आयुर्वेदिक इलाज (Treatment of Cataract in Hindi)
रक्त मोतियाबिंद में चीजें लाल, हरी, काली, पीली, और सफेद दिखती हैं। परिम्लामिन मोतियाबिंद में सब कुछ पीला नजर आता है, जैसे पेड़-पौधों में आग लगी हो।
चीजें ज्वाला से घिरी दिखती हैं। इसे ‘मूर्छित पित्त का मोतियाबिंद’ भी कहते हैं।
सभी प्रकार के मोतियाबिंद में आंखों की स्थिति भिन्न होती है:
– वातज मोतियाबिंद: पुतली लालिमायुक्त, चंचल, और कठोर होती है।
– पित्तज मोतियाबिंद: पुतली कांसे जैसी पीली होती है।
– कफज मोतियाबिंद: पुतली सफेद और चिकनी या शंख जैसी सफेद खूँटों से युक्त होती है।
– सन्निपात मोतियाबिंद: पुतली मूंगे या पद्म पत्र जैसी होती है, सभी लक्षणों का मिश्रण दिखता है।
– परिम्लामिन: पुतली भद्दे रंग के कांच जैसी, पीली, लाल, मैली, रूखी, और नीली होती है।
मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज (Cataract )
आयुर्वेद में मोतियाबिंद के अनेक सफल योग हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
आंखों में लगाने वाली औषधियाँ-
- भीमसेनी कपूर को स्त्री के दूध में घिसकर लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद ठीक हो सकता है।
- हल्के बड़े मोती का चूरा और काला सुरमा मिलाकर घोंटें, रात में अंजन की तरह लगाने से मोतियाबिंद दूर हो सकता है।
- छोटी पीपल, लाहौरी नमक, समुद्री फेन, और काली मिर्च को काले सुरमे और गुलाब अर्क/सौंफ अर्क में घोटें, रोज आंखों में लगाने से लाभ होता है।
- गिलोय का रस, शहद, और सेंधा नमक मिलाकर अंजन की तरह इस्तेमाल करें, मोतियाबिंद में फायदा होगा।
- किसी भी एक औषधि का नियमित प्रयोग करने से सभी प्रकार का मोतियाबिंद धीरे-धीरे दूर हो सकता है।
- सफेद प्याज, नींबू, अदरक का रस और शहद मिलाकर धूप में रखें, ऊपर का द्रव रोज सुबह-शाम आंखों में डालें, मोतियाबिंद ठीक हो सकता है।
खाने वाली औषधियाँ
आंखों में औषधि लगाने के साथ जड़ी-बूटियों का सेवन भी फायदेमंद होता है। यहां एक योग बताया गया है, जो सभी तरह के मोतियाबिंद में लाभकारी है:
– 500 ग्राम सूखे, गुठली रहित आंवले, 500 ग्राम भृंगराज का संपूर्ण पौधा, 100 ग्राम बाल हरीतकी, 200 ग्राम सूखे गोरखमुंडी पुष्प, और 200 ग्राम श्वेत पुनर्नवा की जड़ लें।
– सभी औषधियों को बारीक पीस लें।
– 250 मिलीलीटर अमरलता के रस और 100 मिलीलीटर मेहंदी के पत्रों के रस में मिलाकर काले पत्थर के खरल में अच्छी तरह घोटें।
– इसमें 25 ग्राम शुद्ध भल्लातक का कपड़छान चूर्ण मिलाएं और तब तक खरल करें जब तक वह सूख न जाए।
– इसे छानकर कांच के बर्तन में रखें।
– रोगी की शक्ति और अवस्था के अनुसार 2 से 4 ग्राम चूर्ण ताजा गोमूत्र के साथ सुबह-शाम खाली पेट सेवन करें।
फायदेमन्द व्यायाम व योगासन
औषधियों के साथ-साथ रोज सुबह सूर्योदय से दो घंटे पहले नित्य क्रियाओं के बाद शीर्षासन और आंख का व्यायाम करना जरूरी है।
आंखों के व्यायाम के लिए पालथी मारकर पद्मासन में बैठें।
पहले, आंखों की पुतलियों को दाएँ-बाएँ और फिर ऊपर-नीचे घुमाएं।
इसे 10-15 बार दोहराएं। फिर, सिर को स्थिर रखते हुए, पुतलियों को पहले घड़ी की दिशा में और फिर विपरीत दिशा में गोलाई में घुमाएं। इसे भी 10-15 बार करें।
कुछ खास हिदायतें
मोतियाबिंद के रोगी को गेहूँ की ताजी रोटी, बिना चीनी का गाय का दूध, और गाय का घी सेवन करना चाहिए।
आंवले के मौसम में ताजे आंवले खाएं और फलों में अंजीर और गूलर का सेवन करें।
सुबह-शाम आंखों में ताजे पानी के छींटे जरूर मारें।
कम या बहुत तेज रोशनी में न पढ़ें और रोशनी सीधे आंखों पर न पड़ने दें। पढ़ते समय रोशनी बार्ईं ओर से आने दें।
वनस्पति घी, मिलावटी तेल, मांस, मछली, अंडा आदि से बचें। मिर्च-मसाला और खटाई का सेवन न करें।
कब्ज न होने दें और अत्यधिक ठंड या गर्म मौसम में बाहर न निकलें।
FAQ’s
- क्या आप भीमसेनी कपूर का इस्तेमाल कर सकते हैं?
A: दूध में मिलाकर इसे आंखों पर लगाकर प्रारंभिक मोतियाबिंद को ठीक कर सकते हैं। - मोतियाबिंद बनाने के लिए हल्के बड़े मोती का उपयोग कैसे करें?
A:काले सुरमा और हल्के बड़े मोती का चूरा मिलाकर अंजन की तरह लगाने से मोतियाबिंद दूर हो सकता है। - मोतियाबिंद में गिलोय रस का उपयोग कैसे करें
A:गिलोय का रस, शहद और सेंधा नमक को मिलाकर अंजन बनाने से मोतियाबिंद में लाभ होगा। - मोतियाबिंद में नींबू के रस और सफेद प्याज का क्या फायदा है?
A: नींबू, अदरक का रस, शहद और सफेद प्याज को मिलाकर आंखों में लगाने से मोतियाबिंद ठीक हो सकता है।