सिंघाड़ा खाने के फायदे और नुकसान
मौसमी फल हमें कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।ऐसा ही दिल के आकार से मिलता-जुलता लाल और हरे रंग का एक मौसमी फल पानी में पैदा होता है.
पेड़-पौधों के साथ-साथ कुछ जड़ी-बूटियां पानी से भी प्राप्त होती हैं. पानी से प्राप्त होने वाली औषधीय वनस्पति में सिंगाड़ा भी शामिल है. यह पानी में उगने वाला ऐसा एक जलीय पौधे का फल है, जो सर्दियों के दिनों में पाया जाता है जो हमारे लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह त्रिकोण आकर का यह फल स्वास्थ्य के लिए काफ़ी पौष्टिक तत्वों और विटामिन से भरपूर होता है.
हम बात कर रहे हैं सिंघाड़ा की जिसे इंग्लिश में वाटर चेस्टनट (water chestnut) कहा जाता है. सिंघाड़े को पानीफल के नाम से भी जाना जाता है. यह सितम्बर और अक्टूबर के महीने में पाया जाता है. और समस्त भारत में मुख्यत बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में तालाबों आदि में इसकी खेती की जाती है.
इसकी टैंक, झीलों, तालाबों, नदी आदि में की खेती की जाती है. यह काले और हारे रंग में बाजार में मिलता है. इसका आटा भी बाजार में मिलता है. इसका आटा बनाने के लिए सबसे पहले इसके बीज को सूखाया जाता है. जो अत्यन्त पौष्टिक एवं मधुर होता है.
इसका सेवन शरीर को शक्ति प्रदान करता है और साथ ही शरीर में खून की कमी नहीं होने देता है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी इसका सेवन बहुत लाभदायक है. सिंघाड़ा हमारे सम्पूर्ण सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है.
इस लेख के माध्यम से जानेंगे स्वास्थ्य के लिए सिंघाड़े खाने के पौष्टिक फायदे, नुकसान…
- सिंघाड़ा क्या है
- सिंघाड़ा मौजूद पोषक तत्व
- सिंघाड़े खाने के पौष्टिक फायदे
- सिंघाड़ा खाने के नुकसान
सिंघाड़ा क्या है
भारत के कई राज्यों में मुख्य रूप से सिंघाड़ा (Singhara) की एक अलग पहचान पाई जा सकती है. अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, सिंहाड़ा, सिंघाणा, लिंग नट, डेविलपॉड, बैट नट और भैंस नट भी कहा जाता है. इसे वॉटरचेस्टनट (Water chestnut) और वाटरकालट्रॉप (Water Caltrop) भी कहते हैं.
सिंघाड़ा का वानास्पतिक नाम ट्रापानटान्स (Trapanatans) है. यह ओनाग्रेसी (Onagraceae) प्रजाति से संबंधित होता है. इसकी खेती तालाबों में की जाती है. इसका पौधा एक लता होती है जो पानी में पसरने वाली होती है. इसका फल तिकोने आकार का होता है. जिसके सिर पर सींगों की तरह दो कांटे होते हैं.
सिंघाड़ा मौजूद पोषक तत्व
इसमे मौजूद पोषक तत्व विटामिन ए, सिट्रिकएसिड (citric acid), फॉस्फोरस (phosphorus), प्रोटीन (protein), निकोटिनिकएसिड (nicotinic acid), विटामिन सी (vitamin c), मैंगनीज (manganese), थायमिन (thiamin), कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate), एनर्जी, डाइटरीफाइबर, कैल्शियम, जिंक, आयरन, पोटेशियम, सोडियम, आयोडीन, मैग्नीशियम हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.
सिंघाड़े खाने के पौष्टिक फायदे
- अस्थमा के मरीजों के लिए सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद होता है. सिंघाड़े को नियमित रूप से खाने से सांस संबधी समस्याओं से भी आराम मिलता है.
- सिंघाड़ा बवासीर जैसी मुश्किल समस्याओं से भी निजात दिलाने में कारगर साबित होता है.
- सिंघाड़ा खाने से फटी एड़ियां भी ठीक हो जाती हैं. इसके अलावा शरीर में किसी भी स्थान पर दर्द या सूजन होने पर इसका लेप बनाकर लगाने से बहुत फायदा होता है.
- सिंघाड़ा शरीर को ठंडक प्रदान करने का काम करता है. यह प्यास को बुझाने में भी कारगर होता है. दस्त होने पर इसका सेवन करना फायदेमंद रहता हैं.
- इसमें कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसे खाने से हड्डियां और दांत दोनों ही मजबूत रहते हैं. साथ ही यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है.
- प्रेग्नेंसी में सिंघाड़ा खाने से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं. इससे गर्भपात का खतरा भी कम होता है. इसके अलावा सिंघाड़ा खाने से पीरियड्स की समस्याएं भी ठीक होती हैं.
- सिंघाड़े का इस्तेमाल रोजाना की डाइट में किया जा सकता है. इनमें उच्च मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं और कम कैलोरी होने के कारण भी यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है.
- सिंघाड़े का सेवन रक्त संबंधी समस्याओं को भी ठीक करता है. साथ ही मूत्र संबंधी रोगों के उपचार के लिए सिंघाड़े का प्रयोग बहुत फायदेमंद है. दस्त होने पर भी सिंघाड़े का सेवन रामबाण उपाय है.
- इनमें डीटॉक्सिफाइंग गुण पाया जाता है. ऐसे में अगर किसी को पीलिया है तो सिंघाड़े का इस्तेमाल उसके लिए बहुत फायदेमंद होगा. यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी कारगर है.
- सिंघाड़ा शरीर को ऊर्जा देता है, इसलिए इसे व्रत के खाने में शामिल किया जाता है. इसमें आयोडीन भी पाया जाता है, जो गले संबंधी रोगों से रक्षा करता है और थाइरॉइड ग्रंथि को सुचारू रूप से काम करने के लिए प्रेरित करता है.
सिंघाड़ा खाने के नुकसान
- कब्ज से पीड़ित होने पर सिंघाड़े को न खाएं, क्योंकि इसमें पाया जाने वाला एस्ट्रिंजेंट (astringent) प्रभाव कब्ज की समस्या को और बढ़ा सकता है.
- सिंघाड़ा खाने के बाद पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
- अधिक मात्रा में सेवन करने पर इससे पेट में दर्द व सूजन की शिकायत हो सकती है.
- सिंघाड़े जल्दी खराब हो जाते हैं. अगर उनमें से बदबू आ रही है, तो आप इसका उपयोग न करें.